कचरा उठान में पहले ही चरण पर नगर परिषद कर रहा अनदेखी
कचरा प्रबंधन करने के नियमों में पहले ही चरण पर थानेसर नगर परिषद अनदेखी कर रहा है। नप को नियमों के मुताबिक गीला और सूखा कचरा घर-घर से अलग उठाने के अलावा उनका निपटान भी अलग-अलग करना होता है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कचरा प्रबंधन करने के नियमों में पहले ही चरण पर थानेसर नगर परिषद अनदेखी कर रहा है। नप को नियमों के मुताबिक गीला और सूखा कचरा घर-घर से अलग उठाने के अलावा उनका निपटान भी अलग-अलग करना होता है। मगर शहर में नियमों की अनदेखी करके हर रोज 40 टन कचरे को उठाया जा रहा है। थानेसर नगर परिषद प्रशासन ने अब तक महज छह से सात डंपर ही अलग-अलग कूड़ा उठान के लिए चलाए हैं, वो भी सेक्टरों के कुछ हिस्से तक सीमित हैं। शहर के बाकी के हिस्से में लोगों को इसके लिए जागरूक करने के लिए अब तक कोई काम शुरू नहीं किया गया। जहां पर्यावरण, जल और वायु प्रदूषण के लिए कूड़ा बड़ा खतरा बनता जा रहा है। वहीं नगर परिषद गीला व सूखा कचरा को केवल डंप करने तक ही सीमित रह गया है। जबकि पर्यावरणविद् की माने तो 40 प्रतिशत से ज्यादा कचरे को खाद के लिए प्रयोग किया जा सकता है। सिर्फ चर्चा तक ही सीमित रह गई योजनाएं
थानेसर नगर परिषद ने गीला व सूखा कचरा को घर-घर से उठान के लिए कभी डंपरों में पाíटशन कराने की चर्चा बैठक में की तो कभी एक दिन गीला तो एक दिन सूखा कचरा उठाने की बात कही, लेकिन दोनों को अब तक पूरी तरह अमल में नहीं लाया गया। सुबह डंपर आता है और लोग गीला व सूखे कचरे को एक ही डंपर में उडे़ल देते हैं। नप प्रशासन भी इस कूड़े को उठाकर डंपिग जोन में उड़ेल देता है। जबकि गीले कचरे का अलग से प्रबंधन करने पर न केवल उससे कमाई की जा सकती है बल्कि प्लास्टिक के साथ मिलकर भूमि के नीचे क्रिया करने पर रोक लगाने के साथ-साथ लैंड फिलिग की जगह भी बचाई जा सकती है। हर साल डंपिग जोन की किल्लत नहीं होगी
हर साल थानेसर नगर परिषद कूड़ा डालने के लिए जगह ढूंढता है। इसको लेकर कई बार बवाल भी हो चुका है। जहां भी नगर परिषद ने कूड़ा डालना शुरू किया, वहीं के लोग कूड़े से उठने वाली दुर्गंध और कूड़े के खिलाफ उठ खड़े हुए। जबकि नगर परिषद अगर चाहे तो केवल ठोस कचरे को डंपिग जोन में डालकर इस समस्या से भी उभर सकता है। ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट का मामला कागजों में अटका
ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट लगाने का मामला अब तक कागजों में ही अटका हुआ है। जबकि आज से करीब आठ से10 साल पहले थानेसर नगर परिषद ने ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट लगाने के लिए जगह ढूंढनी शुरू की थी, लेकिन इस पर भी कुछ नहीं हुआ। फोटो संख्या : 18
घरों में ही कूड़े का सेग्रीगेशन होना चाहिए। इसके लिए दो अलग-अलग डस्टबिन की व्यवस्था होनी चाहिए। नप के डंपर में गीला और सूखा कचरा डालने के लिए अलग-अलग पाíटशन बने होने चाहिए। स्वच्छ सर्वेक्षण में भी इस बात के अलग से नंबर होते हैं। गीले कूड़े को नजदीक ही जगह पर खाद बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है, जबकि सूखे कचरे को भी अलग-अलग किया जाना चाहिए। इनमें से कुछ को फ्यूल के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। छोटे-छोटे प्रयासों से नप प्रशासन इस समस्या को काफी हद तक दुरुस्त कर सकती है।
-नरेश भारद्वाज, पर्यावरणविद् ग्रीन अर्थ संस्था फोटो संख्या : 19
अलग-अलग कूड़ा उठान के लिए छह से सात डंपर सेक्टरों में चलाए हैं जो गीला व सूखा कचरा अलग-अलग उठा रहे हैं। पहले सेक्टर वासियों को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है, इसके बाद शहर के दूसरे हिस्से में भी इसी तरह की व्यवस्था की जाएगी।
बीएन भारती, कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद थानेसर
इस तरह करें कचरे को अलग
-रसोई से निकलने वाले गीले कचरे जैसे सब्जियों के छिलके, बची हुई सब्जी या किसी भी दूसरे पदार्थों को अलग से कूड़ेदान में डालें।
-रसोई से निकलने वाले प्लास्टिक को सूखे कचरे वाले कूड़ेदान में डाले। रसोई से निकलने वाले प्लास्टिक, कांच को अलग से निकाले।
-पेपर वाले कचरे को अलग बैग में रख कर सूखे कूड़ेदान में डाल दें।