देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के मानक स्थापित करने में नैक की महत्वपूर्ण भूमिका: कुलपति
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा है कि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व शोध के मानक स्थापित करने में नैक की महत्वपूर्ण भूमिका है। नैक ने अपने कड़े मूल्यांकनों से शिक्षण संस्थानों के समक्ष नई चुनौतियां पेश की हैं जिसके कारण देशभर में शिक्षण व शोध के स्तर में गुणात्मक वृद्धि हुई है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा है कि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व शोध के मानक स्थापित करने में नैक की महत्वपूर्ण भूमिका है। नैक ने अपने कड़े मूल्यांकनों से शिक्षण संस्थानों के समक्ष नई चुनौतियां पेश की हैं जिसके कारण देशभर में शिक्षण व शोध के स्तर में गुणात्मक वृद्धि हुई है। वे शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में नैक व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से उत्तर भारत के नैक मूल्यांकन में भाग लेने वाले सीनियर प्रोफेसर व अधिकारियों के लिए आयोजित ओरियंटेशन कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कुलपति ने कहा कि यह गर्व बात है कि नैक ने इस ओरियंटेशन कार्यक्रम के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का चयन किया है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों से राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद ने निरंतर देश के शिक्षण संस्थानों का विभिन्न स्तरों पर मूल्यांकन किया है। इस मूल्यांकन के कारण विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानों की बीच एक स्वस्थ प्रतियोगिता की शुरुआत हुई है। जिसका लाभ शिक्षण संस्थानों के साथ विद्यार्थियों को भी मिल रहा है। कुलपति ने कहा कि प्राइवेट शिक्षण संस्थान इस ²ष्टि से कार्य कर रहे हैं, लेकिन सरकारी विश्वविद्यालय समाज की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। इसलिए वे शिक्षण, शोध के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्वों के पैमानों पर भी खरा उतर रहे हैं। नैक के एडवाइजर डॉ. विष्णुकांत ने इस मौके पर एक विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से नैक द्वारा मूल्यांकन की प्रक्रिया में जिस तरह के बदलाव किए गए है उनके बारे में विस्तार से चर्चा की। नैक की डिप्टी एडवाइजर डॉ. प्रतिभा ¨सह ने बताया कि उत्तर भारत के 16 शिक्षण संस्थानों के 66 प्रतिभागियों ने ओरियंटेशन कार्यक्रम में अपने प्रश्नों से मूल्यांकन के बदलावों को जानने का प्रयास किया।