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होनी के चक्रव्यूह से नहीं बच सका मोहम्मद सरफुदीन

जतिन्द्र ¨सह चुघ, शाहाबाद : कहते हैं कि मौत के लिए समय और स्थान निर्धारित होता है और हो

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Feb 2018 01:04 AM (IST)Updated: Tue, 06 Feb 2018 01:04 AM (IST)
होनी के चक्रव्यूह से नहीं बच सका मोहम्मद सरफुदीन
होनी के चक्रव्यूह से नहीं बच सका मोहम्मद सरफुदीन

जतिन्द्र ¨सह चुघ, शाहाबाद : कहते हैं कि मौत के लिए समय और स्थान निर्धारित होता है और होनी के मुताबिक जिसकी मौत जहां लिखी वह इंसान अपने आप में उस जगह पहुंच जाता है। ऐसा ही कुछ एमबीबीएस के छात्र मोहम्मद सरफुद्दीन व कार के चालक के साथ हुआ सरफुद्दीन को मौत नेपाल से तो कार चालक को दिल्ली से शाहाबाद के गांव रतनगढ़ तक खींच कर ले आई। एक साथ नेपाल के नेशनल मेडिकल कॉलेज वीरगंज से एमबीबीएस कर रहे हैं इन छह दोस्तों ने कभी न सोचा था कि ये घूमने के लिए दिल्ली से कुल्लू मनाली जा रहे हैं, लेकिन असल में इनके एक दोस्त सरफुद्दीन की मौत इन्हें बुलावा दे रही है। जैसे-जैसे इनकी गाड़ी अपने सफर की ओर बढ़ती रही वैसे-वैसे काल के क्रूर हाथ सरफुद्दीन व चालक की ओर बढ़ते रहे। क्योंकि जो गाड़ी दिल्ली से बिल्कुल ठीक-ठाक आ रही थी वह अचानक बिना किसी कारण शाहाबाद के गांव रतनगढ़ के पास खराब हो गई। जब गाड़ी खराब हुई तो सरफुद्दीन के पांचों दोस्त प्रियदर्शन, अगनीस किरण, अमृतेष, सुबोजीत, राजेश कुमार कार से नीचे उतर गए और सरफुद्दीन को भी कार से नीचे आने के लिए बार-बार कहा, लेकिन सरफुद्दीन नींद रूपी मौत ने घेरा हुआ था इसलिए वह कार से नीचे नहीं उतरा, बल्कि अपने अन्य दोस्तों को भी कार में बैठे रहने के लिए कह रहा था। कुछ ही मिनटों बाद ट्रक का रूप धारण करे काल ने कार को टक्कर मार दी और इनका एक दोस्त सरफुद्दीन व चालक हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए। अगर सरफुद्दीन ने दोस्तों की बात मान ली होती तो उसकी भी जान बच जाती और अगर बाकी दोस्त सरफुद्दीन की बात मानकर कार से नीचे न उतरते तो इस हादसे में कई जाने जा सकती थीं। लेकिन होनी के इस चक्रव्यूह से सरफुद्दीन बच न सका। अपने दोस्त को खोकर पांचों दोस्तों का बुरा हाल था। सरफुद्दीन के पिता व भाई एनआरआइ हैं इसलिए वह दोस्तों के साथ ही ज्यादा रहता था। वक्त ने भी क्या खेल खेला कि पिता व भाई दूसरे देश में थे जिस कारण सरफुद्दीन का शव लेने भी अन्य रिश्तेदारों को आना पड़ा। पांचों दोस्तों का बुरा हाल था। वह दिल्ली से क्या सोच कर चले थे और उनके साथ क्या हो गया बस इसी बात को लेकर वह बार-बार भाग्य को कोस रहे थे।

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