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एससी-एसटी एक्ट में बदलाव की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कानून में किए गए बदलाव को वापस ले

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 01:15 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 01:15 AM (IST)
एससी-एसटी एक्ट में बदलाव की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
एससी-एसटी एक्ट में बदलाव की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कानून में किए गए बदलाव को वापस लेने की मांग करते हुए मंगलवार को विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने लघु सचिवालय पहुंच ज्ञापन सौंपा। उपायुक्त की अनुपस्थिति में तहसीलदार टीका राम को सौंपे गए ज्ञापन में पदाधिकारियों ने इसे काला कानून बताते हुए इसमें संशोधन की मांग की है। उन्होंने कहा कि कानून सभी जातियों के लिए एक समान होना चाहिए, लेकिन एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के बाद समाज के बहुत बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया जा रहा है। इससे पहले ज्ञापन सौंपने पहुंचे संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने काला कानून वापस लेने की मांग को लेकर नारेबाजी की।

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लघु सचिवालय पहुंचे संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी महेंद्र ¨सह तंवर ने कहा कि एक्ट में बदलाव के बाद मात्र एक शिकायत पर किसी भी व्यक्ति को दोषी मानकर गिरफ्तार करने व उसकी जमानत न होने के प्रावधान किए गए हैं। सबका साथ और सबका विकास के साथ सत्ता में आई सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को बदलकर एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय किया है। इससे देश जातिगत गृहयुद्ध की तरफ बढ़ा है और जातिगत राजनीति, जातिगत गुंडागर्दी से बढ़कर जातिगत आतंकवाद का रूप ले रहा है। उन्होंने कहा कि जातिगत राजनीति के सामने पूरी संसद व केंद्र सरकार लाचार है। किसी भी कानून या नीति को लागू करने में सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे किसी के साथ अन्याय तो नहीं हो रहा है ? ऐसे काले कानून को वापस लिया जाना जरूरी है। इस मौके पर क्षत्रिय सभा के गजे ¨सह, गुर्जर सुधार सभा से रामरत्न कटारिया, राजेंद्र ¨सह अनरानी कला, प्रीतपाल ¨सह राणा, अमर ¨सह, कंवरपाल शर्मा, वीरभान, सुभाष चंद, विश्वनाथ शर्मा व सुभाष चंद उपस्थित रहे। ज्ञापन पर कई संस्थाओं की मोहर, लेकिन पदाधिकारियों ने जताई अनभिज्ञता हालांकि इस दौरान सौंपे गए ज्ञापन में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, क्षत्रिय सभा, ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा, जाट सभा, गुर्जर महासभा, ब्राह्मण सभा, सारस्वत ब्राह्मण सभा, पंजाबी सभा, वैश्य अग्रवाल सभा और रोड़ सभा के मोहर सहित पदाधिकारियों के हस्ताक्षर थे। लेकिन इनमें से कई संस्थाओं के प्रतिनिधि इस दौरान मौजूद नहीं थे। एक दो संस्था के पदाधिकारियों ने इससे अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि कार्यालय में कर्मचारी से पत्र प्राप्त करने की पुष्टि को लेकर मोहर लगवाकर हस्ताक्षर करवाए गए थे। ज्ञापन सौंपे जाने बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। ज्ञापन सौंपने के बाद पहुंचे हरियाणा ब्राह्मण धर्मशाला एवं छात्रावास के प्रधान पवन शर्मा ने भी इस कानून को वापस लेने की मांग की है।


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