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मनोविज्ञान से वर्तमान समाज की कई समस्याओं का निवारण किया जा सकता है : कुलपति

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि आज कल के परिवेश में मनोविज्ञान का बहुत महत्व है आज संसार एक संयुक्त परिवार की तरह हो गया है यहां सब एक दूसरे पर आश्रित हैं। वर्तमान समय में मनोविज्ञान के द्वारा आजकल की समस्याओं का निवारण किया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 07:26 AM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 07:26 AM (IST)
मनोविज्ञान से वर्तमान समाज की कई समस्याओं का निवारण किया जा सकता है : कुलपति

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि आज कल के परिवेश में मनोविज्ञान का बहुत महत्व है आज संसार एक संयुक्त परिवार की तरह हो गया है यहां सब एक दूसरे पर आश्रित हैं। वर्तमान समय में मनोविज्ञान के द्वारा आजकल की समस्याओं का निवारण किया जा सकता है। वे बृहस्पतिवार को मनोविज्ञान विभाग की ओर से आयोजित इंडियन एकेडमी ऑफ अप्लाइड साइकोलॉजी की 54वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

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उन्होंने कहा कि दुनिया में बढ़ रही सूचना एवं तकनीक, भागदौड़ भरे जीवन, जीवन में बढ़ रही चुनौतियों के कारण मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ रही हैं। जब किसी देश के लोग मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे तभी वह देश तरक्की कर सकता है। मनोवैज्ञानिकों को समाज में बढ़ रही इस समस्याओं पर गंभीरतापूर्वक वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए। ताकि समाज भविष्य व वर्तमान की चुनौतियों से निपट सके। इस मौके पर कुलपति ने देशभर से पहुंचे मनोवैज्ञानिकों का कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में स्वागत किया। कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण के मुख्य वक्ता एमेरिट्स प्रोफेसर डॉ. सागर शर्मा ने मनोविज्ञान सीमाओं से परे अवसर पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि शारीरिक सीमाएं विलुप्त हो गई हैं परन्तु मानसिक सीमाएं बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि आजकल बहु विषयक अवधारणा का समय है अनुसंधान पद्धति सभी विषयों को एक साथ लेकर चले ताकि मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान पाया जा सके। डीआइपीआर के निदेशक डॉ. के रामाचंद्रन ने इस विषय पर प्रकाश डाला कि आजकल हम समाज के सामने जो समस्याएं हैं। संगोष्ठी में इंग्लैंड से आई विशिष्ठ अतिथि फ्लोरेंस ने अंत में संस्कृति शोधों पर विचार रखें उन्होंने कहा कि आने वाले समय में व्यक्ति अधिक महत्वपूर्ण नहीं होगा बल्कि जिस परिवेश में वह विकसित हो रहा है वही महत्वपूर्ण रह जाएगा। इस मौके पर सेमीनार के निदेशक व मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. रोहताश ने बताया कि आज से शुरु हुई इस संगोष्ठी में लगभग 500 से अधिक मनोवैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. हरदीप जोशी व डॉ. रंजना ने बताया कि इस तीन दिवसीय कांफ्रेंस के विभिन्न तकनीकी सत्रों में मनोवैज्ञानिकों व शिक्षाविद्धों द्वारा शोध पत्र पढ़े जा रहे हैं।


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