ठेके पर लगा कर्मी देता था खाली डीएमसी
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र नकली डीएमसी बनाने के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिए ठेके प
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र
नकली डीएमसी बनाने के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिए ठेके पर लगे कर्मचारी राजकुमार की भी संलिप्तता पाई गई है। वह आरोपियों को असल खाली डीएमसी मुहैया कराता था। यह बात आरोपी ने पुलिस पूछताछ के दौरान कबूल की है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अदालत ने उसे एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
गौर है कि पुलिस की अपराध शाखा एक ने नकली डीएमसी बनाने के मामले में दो मुख्यारोपियों के साथ उनके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया था कि राजकुमार भी उनका साथी है। राजकुमार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ठेके पर लगा हुआ है। पहले उसे हटा दिया गया था, मगर वह दोबारा से अब ठेके पर लग गया था। इसकी नियुक्ति भी संबंधित विभाग में बताई जा रही है। पुलिस ने आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपी ने स्वीकार किया कि वह आरोपियों को खाली डीएमसी उपलब्ध कराता था। इसके साथ ही पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि आरोपी व उनके साथी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद रहते थे और ऐसे छात्र-छात्राओं की तलाश में रहते थे जो किसी विषय में फेल होते थे या कंपार्टमेंट होती थी। पुलिस की टीम लगातार आरोपियों की धर-पकड़ में लगी हुई है। पुलिस की अपराध शाखा एक प्रभारी सतीश कुमार का कहना है कि पुलिस ने अभी तक इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के आधार पर आशंका है कि इस मामले में कई अन्य भी शामिल हैं। पुलिस को आरोपियों से काफी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है, जिसके आधार पर पुलिस अन्य लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी।
प्रशासन ने की आंख बंद तो हो रहा विश्वविद्यालय बदनाम: गुर्जर
कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रामकुमार गुर्जर ने कहा कि उन्होंने प्रशासन को काफी पहले आगाह किया था कि विश्वविद्यालय में कुछ बाहरी तत्व गड़बड़ी कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने मौन धारण किए रखा और कोई कार्रवाई नहीं की। लगातार ज्यादा दिन कार्य करने पर ठेके पर लगे कर्मचारी पूरी तरह से कार्यप्रणाली को पकड़ लेते हैं। जिससे यह दिक्कत भी बढ़ती है। उन्होंने माना कि एक आध नियमित कर्मचारी भी लालच में आकर इसमें शामिल हो जाता है। जिससे विश्वविद्यालय भी बदनाम हो रहा है। अगर पहले ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच कार्य पूरा कर लिया गया था तो अंदर तक पूरे गैंग की तलाश क्यों नहीं की गई। रामकुमार गुर्जर ने कहा कि ऐसे कार्यों से विश्वविद्यालय का हर कर्मचारी बदनाम होता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ठेका प्रथा को समाप्त कर विश्वविद्यालय में नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए।