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महाभारत की धरा को मिलेगी नई पहचान, इस खास अंदाज में नजर आएंगे भगवान श्रीकृष्ण

सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति श्रीमद्भगवद गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र को नई पहचान दिलाएगी। इसके लिए सुदर्शन चक्रधारी पीतल की मूर्ति तैयार करवाई गई हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 02:47 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 02:47 PM (IST)
महाभारत की धरा को मिलेगी नई पहचान, इस खास अंदाज में नजर आएंगे भगवान श्रीकृष्ण
महाभारत की धरा को मिलेगी नई पहचान, इस खास अंदाज में नजर आएंगे भगवान श्रीकृष्ण

कुरुक्षेत्र [विनोद चौधरी]। महाभारत की धरा को नई पहचान दिलाने के लिए अब भगवान श्रीकृष्ण ने हाथ में सुदर्शन चक्र उठा लिया है। यही सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति श्रीमद्भगवद गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र को नई पहचान दिलाएगी। इसके लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधिकारियों ने खासतौर पर श्रीकृष्ण की सुदर्शन चक्रधारी पीतल की मूर्ति तैयार करवाई है।

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लगभग 24 इंच की इस मूर्ति को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचने वाले विशेष मेहमानों के लिए तैयार करवाया गया है। इस बार महोत्सव में पहुंचने वाले खास मेहमानों को यही मूर्ति स्मृति चिह्न के रूप में दी जाएगी। इसके पीछे केडीबी का उद्देश्य गीता की धरा की पहचान को और मजबूत करना है। 

बता दें कि आमतौर पर गीता की धरती पर विश्वभर से पहुंचने वाले पर्यटक यहां से बांसुुरी बजा रहे श्रीकृष्ण की मूर्ति लेकर लौटते थे, जबकि भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुुरी मथुरा-वृंदावन में बजाई थी। कुरुक्षेत्र में तो महाभारत का युद्ध हुआ था। इस युद्ध से पहले ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता के उपदेश के बाद भी जब अर्जुन युद्ध के लिए तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने अपना विराट स्वरूप दिखाया था। भगवान श्रीकृष्ण का विराट स्वरूप देखने के बाद ही अर्जुन ने युद्ध के लिए तैयार हुए और उन्होंने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना की थी।

चक्र से ही धर्म की रक्षा होती है और दुष्टों का नाश होता है

भगवान श्रीकृष्ण के चक्र से ही धर्म की रक्षा होती है और दुष्टों का नाश होता है। कुरुक्षेत्र में भगवान ने धर्म की रक्षा की थी। उन्होंने सुदर्शन चक्र से सच्जनों की रक्षा की और दुर्जनों का नाश किया था। इस मूर्ति को खास तौर पर अलग रूप दिया गया है। इस मूर्ति में सुदर्शन चक्रधारी श्रीकृष्ण की भौहें तनी हुई हैं। दुष्टों और अधर्मी को उनके इसी रूप से भय लगता था।

खासतौर तैयार कराई गई है मूर्ति

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने बताया कि श्रीमद्भगवद गीता को घर-घर तक पहुंचाने के लिए इस तरह की स्मृति चिह्न तैयार करवाया गया है। आने वाले दिनों में यही सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण का स्मृति चिन्ह कुरुक्षेत्र की पहचान बनेगा। इस बार खास तौर पर लगभग 24 इंच की पीतल की मूर्ति तैयार करवाई गई है।

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