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कुरुक्षेत्र भी जुड़ेगा इसरो से, देश में छह NIT में खुलेगा रिसर्च सेंटर

हरियाणा का कुरुक्षेत्र भी इसरो से जुड़ेगा। इसरो देश के छह एनआइटी में अपना रिसर्च सेंटर खोलेगा। इनमें कुरुक्षेत्र का एनआइटी भी शामिल है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 09:50 AM (IST)
कुरुक्षेत्र भी जुड़ेगा इसरो से, देश में छह NIT में खुलेगा रिसर्च सेंटर
कुरुक्षेत्र भी जुड़ेगा इसरो से, देश में छह NIT में खुलेगा रिसर्च सेंटर

कुरुक्षेत्र, [पंकज आत्रेय]। चंद्रयान-2 लांचिंग की हमारी बड़ी उपलब्धियों में शुमार हो गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इस प्रोजेक्ट के साथ विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थानों के विद्यार्थी भी जुड़े रहे। इसरो ऐसे ही भावी अंतरिक्ष वैज्ञानिक तैयार करने के लिए देशभर में छह अलग-अलग दिशाओं में स्थापित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआइटी) में अपने क्षेत्रीय अकादमिक सेंटर खोलने जा रहा है। एनआइटी कुरुक्षेत्र भी इसरो के इस महाप्रोजेक्ट में शुमार हो गया है।

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छह अलग-अलग दिशाओं में स्थापित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों का चयन किया

इससे जुडऩे वाला उत्तर भारत का यह एकमात्र संस्थान बनने जा रहा है। बेंगलुरु स्थित इसरो के क्षमता निर्माण कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक डॉ. पीवी वेंकटकृष्णन और एनआइटी कुरुक्षेत्र के निदेशक पद्मश्री डॉ. सतीश कुमार ने इसकी पुष्टि की है।

बता दें कि डॉ. पीवी वेंकटकृष्णन इसरो के रिस्पांड विभाग के उप निदेशक डॉ. एमए पॉल के साथ एनआइटी कुरुक्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। इस संस्थान को उन्हें सेंटर की स्थापना के लिए उपयुक्त पाया है। इसके बाद एमओयू तैयार किया गया है।

यहां सेंटर खोलेगा इसरो

डॉ. पीवी वेंकटकृष्णन ने दैनिक जागरण को बताया कि स्पेस रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए देश के छह एनआइटी संस्थानों में इसरो अपने अकादमिक सेंटर खोलने जा रहा है। शुरुआत में तीन एनआइटी शामिल किए गए हैं, जिनके साथ एमओयू तैयार हो गए हैं। इनमें उत्तर-पूर्व में एनआइटी गुवाहाटी, पश्चिम में जयपुर और उत्तर भारत में एनआइटी कुरुक्षेत्र रखे गए हैं। इनके साथ तीन और संस्थानों से एमओयू होंगे, जिनमें दक्षिण-पूर्व में एनआइटी राउरकेला, दक्षिण क्षेत्र में कर्नाटक के मेंगलोर एनआइटी और केंद्र के लिए बीएचयूआइटी वाराणासी को चुना गया है।

होगी प्रतिस्पर्धा

डॉ. वेंकटकृष्णन का कहना है कि किसी एक प्रोग्राम (प्रोजेक्ट) पर इसरो एक ही दिशा में काम करता है, लेकिन वही प्रॉब्लम इन सभी सेंटरों को भी दी जाएगी। इससे फायदा यह होगा कि एक प्रोजेक्ट पर छह दिशाओं से समाधान आएंगे। इनमें से जिस किसी भी संस्थान की ओर से सबसे पहले जिसका प्रोजेक्ट सबमिट होगा, उसे इसरो अपने प्रोग्राम में शामिल करेगा। यह सभी सेंटर अपने स्तर पर ही रिसर्च करेंगे, जिसमें इनके क्षेत्र के इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज भी शामिल किए जाएंगे।

यह होगा फायदा

एनआइटी कुरुक्षेत्र के निदेशक पद्मश्री डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि इस सेंटर में इसरो के वैज्ञानिक विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में पढ़ाएंगे। इसमें रॉकेट साइंस, स्पेस मिशन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहेंगे। सेंटर पर इसरो हर साल पांच करोड़ रुपये खर्च करेगी। विद्यार्थियों को डिजाइन, एडवांस फैब्रिकेशन, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट और डेमोस्ट्रेशन सिखाया जाएगा।

उनके मुताबिक इसके सुखद परिणामों के बाद एनआइटी में एयरोनॉटिकल एंड स्पेस इंजीनियङ्क्षरग कोर्स भी शुरू किया जा सकता है। पीएचडी स्तर पर अंतरिक्ष विज्ञान में शोध करने वाले विद्यार्थियों को इसरो में प्लेसमेंट भी मिल सकता है। इस प्रोजेक्ट के पीछे इसरो का उद्देश्य इंजीनियङ्क्षरग संस्थानों में शोध की संस्कृति को प्रोत्साहित करना है।


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