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कोलकाता के कलाकारों ने गौड़िया नृत्य की दी शानदार प्रस्तुति

कोलकाता के कलाकारों ने जैसे ही मंच पर आकर अपनी प्रस्तुति दी तो हर कोई अपनी अंगुलियां दांतों तले दबाने को मजबूर हो गया। ज्यों-ज्यों प्रस्तुति आगे बढ़ती गई त्यों-त्यों उत्साह और बढ़ता गया। चंडी वंदना रास लीला और नव दूर्गा नृत्य में कलाकारों ने सबका मन मोह लिया। गौड़ियां नृत्य की प्रस्तुति सबसे हटकर रही।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 05:39 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 05:39 AM (IST)
कोलकाता के कलाकारों ने गौड़िया नृत्य की दी शानदार प्रस्तुति
कोलकाता के कलाकारों ने गौड़िया नृत्य की दी शानदार प्रस्तुति

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कोलकाता के कलाकारों ने जैसे ही मंच पर आकर अपनी प्रस्तुति दी तो हर कोई अपनी अंगुलियां दांतों तले दबाने को मजबूर हो गया। ज्यों-ज्यों प्रस्तुति आगे बढ़ती गई, त्यों-त्यों उत्साह और बढ़ता गया। चंडी वंदना, रास लीला और नव दूर्गा नृत्य में कलाकारों ने सबका मन मोह लिया। गौड़ियां नृत्य की प्रस्तुति सबसे हटकर रही। विश्व विख्यात नृत्यांगना डा. महुआ मुखर्जी के नृत्य ने सबको उत्साहित कर दिया।

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मौका रहा हरियाणा कला परिषद की साप्ताहिक संध्या का। ऑनलाइन आयोजन में लोगों ने जुड़कर साप्ताहिक संध्या का लुप्त उठाया। इसमें प्रदेश सहित अन्य कई प्रदेशों के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल के पारंपरिक नृत्य गौड़िया की प्रस्तुति हरियाणा कला परिषद ने कराई गई। विश्व विख्यात नृत्यांगना डा. महुआ मुखर्जी व उनके सहयोगी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसका संचालन हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया।

परिषद के निदेशक संजय भसीन ने अपने विचार सांझा किए। उन्होंने कहा कि सभी नृत्यों का मूल शास्त्रीय नृत्य है। नृत्य साधना में कलाकार अपनी प्रतिभा में निखार लाने के साथ भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। डा. महुआ मुखर्जी गौड़िया नृत्य को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में कामयाब रही है। डा. महुआ मुखर्जी के अनुसार गौड़िया नृत्य बहुत पुराना प्रचलित है। उस वक्त बंगाल को गौड़िय के नाम से जाना जाता था। चंडी वंदना से प्रस्तुतियां शुरू

साप्ताहिक संध्या में पहली प्रस्तुति चंडी वंदना की रही। जिसमें महिला कलाकारों ने नृत्य में मां चंडी की आराधना की। इसके बाद सौम्य भौमिक, सुनिष्ठा मंडल, पूर्णिमा चटर्जी, सुदेशना मजूमदार और पारोनीता बैनर्जी ने रास लीला नृत्य में भगवान कृष्ण और गोपियों को दर्शाया। अगली प्रस्तुति डा. महुआ मुखर्जी की रही। जिसमें बाल कृष्ण की अठखेलियों को नृत्य से प्रस्तुत किया। अयान मुखर्जी और सुदेशना मजूमदार ने शिव पार्वती नृत्य में सबका मन मोहा। अंतिम प्रस्तुति नवदुर्गा नृत्य की रही। जिसमें महिला कलाकारों ने गौड़िया नृत्य में दुर्गा के नौ रूपों को दिखाया। कार्यक्रम में संगीत अमिताव मुखर्जी का रहा।


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