जरा बच के
सड़क सुरक्षा को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार पूरी तरह से सजग है। यही कारण है कि जनवरी माह आरंभ होते ही सड़क सुरक्षा का अभियान भी आरंभ हो जाता है। सड़क परिवहन मंत्रालय से लेकर मुख्यमंत्री तक लोगों से यातायात नियमों की पालना का संदेश देते हैं इसी के साथ ही एक जनवरी से सात जनवरी तक रोड सेफ्टी वीक भी मनाया जाता है। इस बार तो यह वीक तीन दिन और बढ़ा दिया गया। यह अभी खत्म ही हुआ था कि राष्ट्रीय स्तर पर सड़क सुरक्षा सप्ताह आरंभ हो गया। जो 11 जनवरी से 19 जनवरी तक चला। इसी बीच पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर 13 से 19 जनवरी तक विशेष सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। स्कूलों आटो यूनियन व बस अड्डों पर जागरूकता अभियान चलाए गए मगर सड़क पर इस जागरूकता अभियान का कोई असर दिखाई नहीं देता। वही तेज गति और यातायात नियमों का उल्लंघन सरेआम होता है। ऐसे में ये अभियान भी केवल दिखावा साबित हो रहे हैं।
आधे महीने से अधिक चला जागरूकता अभियान नहीं सुधरे लोग
सड़क सुरक्षा को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार पूरी तरह से सजग है। यही कारण है कि जनवरी माह आरंभ होते ही सड़क सुरक्षा का अभियान भी आरंभ हो जाता है। सड़क परिवहन मंत्रालय से लेकर मुख्यमंत्री तक लोगों से यातायात नियमों की पालना का संदेश देते हैं, इसी के साथ ही एक जनवरी से सात जनवरी तक रोड सेफ्टी वीक भी मनाया जाता है। इस बार तो यह वीक तीन दिन और बढ़ा दिया गया। यह अभी खत्म ही हुआ था कि राष्ट्रीय स्तर पर सड़क सुरक्षा सप्ताह आरंभ हो गया। जो 11 जनवरी से 19 जनवरी तक चला। इसी बीच पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर 13 से 19 जनवरी तक विशेष सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। स्कूलों, आटो यूनियन व बस अड्डों पर जागरूकता अभियान चलाए गए, मगर सड़क पर इस जागरूकता अभियान का कोई असर दिखाई नहीं देता। वही तेज गति और यातायात नियमों का उल्लंघन सरेआम होता है। ऐसे में ये अभियान भी केवल दिखावा साबित हो रहे हैं। अब प्राइवेट हाथों में चली गई कैंटीन एक विभाग की कैंटीन में अच्छी चाय व स्नेकस न मिलने की हमेशा से शिकायत रहती थी। चाय बनाने वाले को दिन भर कोसते रहते हैं। ऐसे में महकमे ने नया तरीका ढूंढ निकाला और कैंटीन को प्राइवेट व्यक्ति के हवाले कर दिया। इससे अब महकमे के कर्मी भी खुश हैं कि उन्हें पहले की तरह उसी दाम पर सामान मिल रहा है और वह भी अच्छा। मगर यह सब कितने दिन चलेगा, यह कोई नहीं जानता। क्योंकि जब नो प्रॉफिट नो लॉस पर कोई दुकान चलेगी तो वह ज्यादा दिनों तक कुछ भी बेहतर नहीं दे सकती है। वहीं चाय पहुंचने में देरी पर भी प्राइवेट व्यक्ति को कुछ नहीं कह सकता। विभाग के कर्मी को ही नहीं मिल रहा न्याय तो दूसरा क्या होगा हाल
खाकी अपने ही कर्मी को न्याय नहीं दिला पा रही है। ऐसे में सिर पर चोट खाए और चलने में असमर्थ कर्मी को न्याय लेने के लिए खुद जिला मुख्यालय आना पड़ा। हालांकि वह बड़े साहब से तो नहीं मिल सका, मगर उसके स्वजन जरूर मिले। कर्मी का कहना था कि ड्यूटी से वापस जाते हुए उस पर हमला हुआ, हमला भी ऐसा ही उसकी जान जा सकती है। भगवान का शुक्र है कि वह बच गया, मगर अब उसे कहा जा रहा है कि डाक्टर से लिखवा कर लाओ की उसकी चोट से उसकी जान जा सकती थी। वहीं मौके पर यह बाते आमजन भी सुन रहे हैं। उनके मुंह से निकल ही गया जब अपने कर्मी की सुनवाई नहीं हो रही तो उनका क्या होगा। हालांकि बड़े साहब से मिल कर जब स्वजन वापस लौटे तो उनके चेहरे पर कुछ सकून जरूर था कि उसकी बात का सही ढंग से सुना तो गया है। गब्बर अंबाला रेंज पर भी डालें नजर
गब्बर अंबाला रेंज पर भी अगर नजर डालें तो हमारी भी लॉटरी लग सकती है, नहीं तो हम यूं ही पता नहीं कब तक ड्यूटी बजाते रहेंगे। मामला यूं की है कि एसपी कार्यालय में बात चल रही थी कि सबसे अच्छी गुरुग्राम रेंज है, जहां समय पर पदोन्नति मिलती है। अंबाला रेंज से अच्छी तो करनाल रेंज भी है। इस बारे में जब कर्मियों से पूछा तो उनका कहना था कि क्या बताएं भाई कई-कई साल हो गए हैं मुख्य सिपाही का कोर्स किए, मगर पदोन्नति नहीं हुई। अंबाला रेंज का तो बुरा ही हाल है, अभी तक 55वां बैच भी पदोन्नत नहीं हुआ है। गुरुग्राम रेंज में तो 66वां और करनाल रेंज में 62वां बैच पदोन्नत हो चुका है। ऐसे में उनका नंबर कब आएगा कुछ कहा नहीं जा सकता। हां अगर गब्बर की नजर-ए-इनायत हो गई तो कुछ भला हो सकता है।