जाट धर्मशाला-सभा प्रधानी विवाद में झुका प्रशासन, फिर भी नहीं थमा विवाद
जाट धर्मशाला-सभा प्रधानी विवाद में प्रशासन के झुकने के बावजूद विवाद थम नहीं पा रहा है। शनिवार की देर शाम जिला प्रशासन की ओर से नवगठित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों की समिति को धर्मशाला की देख-रेख के लिए प्रशासक के साथ अटैच करने का पत्र जारी किया गया। रण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जाट धर्मशाला-सभा प्रधानी विवाद में प्रशासन के झुकने के बावजूद
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
जाट धर्मशाला-सभा प्रधानी विवाद में प्रशासन के झुकने के बावजूद विवाद थम नहीं पा रहा है। शनिवार की देर शाम जिला प्रशासन की ओर से नवगठित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों की समिति को धर्मशाला की देख-रेख के लिए प्रशासक के साथ अटैच करने का पत्र जारी किया गया। इसके बाद भी धरने पर डटे कर्मबीर गुट ने अनशन समाप्त करने की बजाय चुनाव में शामिल किए जाने वाले सदस्यों की संख्या का ब्यौरा लिखित में मांगा है। ब्यौरा न दिए जाने तक अनशन जारी रखने की बात कही है। दूसरी ओर अनशन पर बैठे विजयपाल की भी हालत खराब होने पर भर्ती करवाया गया है। रविवार से पांचवें बुजुर्ग पूर्ण ¨सह काकड़ौद ने अनशन शुरू कर दिया है। वहीं 17 अगस्त को धर्मशाला में ही अंग्रेज सिंह गुट की बैठक की चेतावनी के बाद प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
जिला प्रशासन की ओर से शनिवार की देर रात नवगठित कार्यकारिणी की मांग पर सहमति दिए जाने पर रविवार को पदाधिकारियों की बैठक हुई। धर्मशाला में करीब दो घंटे भर चली बैठक के बाद सभी सदस्यों ने एसडीएम से मुलाकात की। एसडीएम से मुलाकात के बाद नवगठित कार्यकारिणी के प्रधान कर्मबीर ¨सह ने कहा कि प्रशासन की ओर से अभी तक समिति में शामिल सदस्यों को व्यक्तिगत पत्र नहीं सौंपे गए हैं। इसके साथ ही एसडीएम एवं धर्मशाला प्रशासक अनिल यादव की ओर से यह साफ नहीं किया गया है कि चुनाव में कितने सदस्यों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक प्रशासक इस बारे में लिखित में नहीं देंगे, उनका धरना जारी रहेगा। इसके साथ ही उन्होंने 14 अगस्त को प्रस्तावित बैठक को भी अब 19 अगस्त को करने की बात कही है। इस मौके पर उनके साथ सुभाष बैनिवाल, कर्म ¨सह, गंगा राम, राजकुमार अटवान, धर्मपाल व अन्य मौजूद रहे। अब चुनाव में शामिल किए जाने वाले सदस्यों पर हंगामा
जाट धर्मशाला-सभा में प्रधानी को लेकर पिछले करीब दो साल से विवाद चल रहा है। साल 2010 में कार्यकारिणी ने धर्मशाला के संविधान में संशोधन करते हुए कमरा दान देने वाले लोगों को ही चुनाव में शामिल करने का फैसला किया था। इसके बाद साल 2015 में धर्मशाला प्रशासक ने भी इस नियम के अनुसार करीब 325 सदस्यों के साथ चुनाव संपन्न करवाने की तैयारी की थी। इस पर विवाद होने के बाद एक गुट ने अलग कार्यकारिणी का गठन कर लिया था। इसके बाद नई कार्यकारिणी ने 1100 रुपये में सदस्यता अभियान चलाया और धर्मशाला में नौ हजार के करीब सदस्य बनाए गए। अब नवगठित कार्यकारिणी भी इन्हीं 9400 के करीब सदस्यों को चुनाव में शामिल करवाने की बात लिखित में दिए जाने की मांग कर रही है।
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नियमों अनदेखी कर बनाए 15 सदस्य
प्रधान अंग्रेज ¨सह ने कहा कि प्रशासन ने नियमों की अनदेखी करते हुए 15 सदस्य धर्मशाला का काम काज देखने और प्रशासक का सहयोग करने के लिए नियुक्त किए हैं। यह नियमों के विरुद्ध है। वह इसके खिलाफ रजिस्ट्रार कार्यालय को पत्र लिखेंगे। करीब 20 दिन से चल रहा तनाव
धर्मशाला में दो साल से जारी खींचतान के बीच 20 जुलाई को एक गुट ने बैठक बुला नई कार्यकारिणी का गठन कर धर्मशाला की कमान संभाल ली थी। उसी दिन से नवगठित कार्यकारिणी को मान्य किए जाने की मांग को लेकर धर्मशाला में धरना और अनशन शुरू कर दिया था। सुनवाई न होने पर छह अगस्त को दोबारा बैठक बुलाकर सात अगस्त से आमरण अनशन शुरू किया गया। इसके बाद प्रशासन ने 11 अगस्त को देर रात 15 सदस्यों को प्रशासक के साथ धर्मशाला का काम-काज देखने के लिए मान्य किए जाने का पत्र जारी कर दिया। लेकिन अब नवगठित कार्यकारिणी ने चुनाव प्रक्रिया में शामिल किए जाने वाले सदस्यों की संख्या का ब्यौरा लिखित में दिए जाने पर ही अनशन समाप्त करने की बात कही है।