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अतिक्रमण के इशरहेड़ी गांव का तालाब सिकुड़ता जा रहा है

गांव इशरहेड़ी का जोहड़ अवैध अतिक्रमण की भेंट चढ़कर सिकुड़ता जा रहा है। गांव में बना यह मुख्य जोहड़ पहले लगभग 18 एकड़ में फैला हुआ था लेकिन आज के 10 से 12 एकड़ में ही बचा है। हालात ऐसे हैं कि जोहड़ के साथ लगते घरों वाले लोग धीरे-धीरे इस पर कब्जा कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Jul 2019 06:50 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 06:50 AM (IST)
अतिक्रमण के इशरहेड़ी गांव का तालाब सिकुड़ता जा रहा है
अतिक्रमण के इशरहेड़ी गांव का तालाब सिकुड़ता जा रहा है

संवाद सूत्र, बाबैन : गांव इशरहेड़ी का जोहड़ अवैध अतिक्रमण की भेंट चढ़कर सिकुड़ता जा रहा है। गांव में बना यह मुख्य जोहड़ पहले लगभग 18 एकड़ में फैला हुआ था लेकिन आज के 10 से 12 एकड़ में ही बचा है। हालात ऐसे हैं कि जोहड़ के साथ लगते घरों वाले लोग धीरे-धीरे इस पर कब्जा कर रहे हैं। कई लोगों ने जोहड़ की जगह को मिट्टी से भर कर पशुओं को बांधने के लिए बाड़े बना लिए हैं और कुछ ग्रामीणों ने रहने के लिए अपने मकान बना लिए हैं। गांव की पंचायत के प्रतिनिधि इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। कुछ ग्रामीण इसका विरोध करते हैं लेकिन गांव में राजनीतिक पार्टीबाजी के चलते कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। चुनावों से पहले वादा कर बाद में भूल जाते हैं पंचायत प्रतिनिधि

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गांव जैसे ही पंचायत के चुनाव आते हैं तो मैदान में उतरे उम्मीदवार जोहड़ से अवैध कब्जे हटाने का वादा करते हैं, लेकिन सरपंच बनते ही इसे भूल जाते हैं। यह बस पार्टी बाजी के चलते होता है। संरपच का पद संभालने वाला प्रत्याशी अपने वोटबैंक को देखकर कब्जाधारियों पर कार्रवाई नहीं करता। क्या कहते हैं गांव के सरपंच

जब इस मामले के बारे में गांव के सरपंच साहब सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि जोहड़ जिस ग्रामीण के साथ लगता है उसी ने उस पर कब्जा कर लिया है। गांव में बाड़े व प्लाट के लिए कोई पंचायती जगह नहीं है, ऐसे में लोग जोहड़ की जगह पर कब्जा कर गोबर की कुरड़ी डालने के साथ-साथ अपने पशु बांध रहे हैं।


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