Move to Jagran APP

लुप्त हो रही संस्कृति को संरक्षित कर रहा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में लुप्त होने के कगार पर पहुंची लोक कलाएं जीवित हो रही हैं। इसके साथ कलाकारों को महोत्सव से उम्मीद भी बढ़ी है। ढेरु गायन गाथा बाजीगर कला और कच्ची घोड़ी जैसी लोक कलाओं को कलाकार राज्य के दूर जिलों से पहुंचे हैं। ये पर्यटकों को काफी आकर्षित कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 12:46 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 12:46 AM (IST)
लुप्त हो रही संस्कृति को संरक्षित कर रहा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव
लुप्त हो रही संस्कृति को संरक्षित कर रहा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में लुप्त होने के कगार पर पहुंची लोक कलाएं जीवित हो रही हैं। इसके साथ कलाकारों को महोत्सव से उम्मीद भी बढ़ी है। ढेरु गायन गाथा, बाजीगर कला और कच्ची घोड़ी जैसी लोक कलाओं को कलाकार राज्य के दूर जिलों से पहुंचे हैं। ये पर्यटकों को काफी आकर्षित कर रही हैं।

loksabha election banner

ब्रह्मसरोवर तट पर जींद के धुआ गांव के जियालाल ग्रुप के कलाकार हरियाणवी संस्कृति का रंग जमा रहे हैं। लोक कलाकार जिया लाल ने कहा कि प्रदेश में कुछ ही कलाकार ही बचे है जो बीन, तुंबा, ढोलक, खंजरी बजाकर जोगीनाथ बीन सपेरा परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उनके ग्रुप में मिठ्ठू, सुरेश, बलवान, बेदू, नायब, मनजीत, नरपाल कलाकार हैं। सभी कलाकार पारंपकि वेशभूषा से सुसज्जित होकर बीन, तुंबा, ढोलक, खंजरी बजाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव लोक कलाकारों को एक मंच प्रदान कर रहा है। सरकार द्वारा इस प्रकार के कलाकारों को ओर अधिक प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव जैसे मंच उपलब्ध करवाने चाहिए। महोत्सव के शिल्प मेले के दूसरे दिन हरियाणा के विभिन्न गांवों के लोक कलाकारों ने ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर ढेरु गाथा गायन की प्रस्तुती देकर पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इन लोक कलाकारों ने ढेरु गाथा गायन के जरिए गुरु गोरख नाथ जी की गाथा, जवाहर गूगा पीर की गाथाओं का गुणगान किया। इन लोक कलाकारों का कहना है कि यह लोक कला विलुप्त करने के कगार पर पहुंच चुकी है। शिल्प मेले में पहुंचे 45 राष्ट्रीय व राज्य अवार्डी शिल्पकार

उत्तरी क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र पटियाला के अधिकारी महेंद्र कुमार और राजेश बस्सी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2021 में 390 से ज्यादा शिल्पकार पहुंच चुके हैं। इन शिल्पकारों में 21 शिल्पकार राष्ट्रीय अवार्डी, एक राष्ट्रीय प्रमाण पत्र से सम्मानित, 18 स्टेट अवार्डी, दो संत कबीर अवार्डी, दो जिला अवार्डी, एक कला श्री अवार्डी सूरजकुंड शामिल है। इस वर्ष अकेले जम्मू कश्मीर से आठ अवार्डी, एक स्टेट अवार्डी और एक संत कबीर अवार्डी शिल्पकार हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश से नौ राष्ट्रीय अवार्डी, छह स्टेट अवार्डी और एक कला श्री अवार्ड से सम्मानित है।

पर्यटक उठाएंगे जिदवा, सिरमौरी नाटी, हिमाली आदि लोक नृत्यों का लुफ्त

केंद्र अधिकारी जरनैल सिंह का कहना है कि आठ दिसंबर तक पंजाब का जिदवा, हिमाचल का सिरमौरी नाटी, जम्मू कश्मीर का हिमाली, उत्तराखंड का छपेली और राजस्थान का चेरी घूम्मर पर्यटकों का मनोरंजन करेगा। इसके अलावा 14 दिसंबर के बाद कई, राज्यों के कलाकार महोत्सव में पहुंच जाएंगे।

पर्यटकों ने खूब की खरीदारी

शिल्प और सरस मेले में पर्यटकों ने सोमवार को जमकर खरीदारी की है। एक तरफ जहां पर्यटक ब्रह्मसरोवर के तट पर खिली धूप में विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों का स्वाद चख रहे थे, वहीं अलग-अलग स्टालों पर जाकर खरीददारी भी कर रहे थे। इतना ही नहीं युवा वर्ग मेले में सेल्फी लेकर अपने आपको आनंदित महसूस कर रहे हैं।

बिछड़ों को मिलाने का काम कर रहा है सूचना केंद्र

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2021 में ब्रह्मसरोवर के मुख्य द्वार पर जिला सूचना एवं जन संपर्क विभाग की तरफ से सूचना केंद्र स्थापित किया गया है। सूचना केंद्र के माध्यम से बिछड़ों को मिलाने का काम किया जा रहा है। डीआइपीआरओ डा. नरेंद्र सिंह ने बताया कि इस सूचना केंद्र से पल-पल की सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ-साथ महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को पल-पल की जानकारी दी जा रही है। केंद्र पर बरखा राम, कृष्ण कुमार, मनोज कुमार, राजकुमार शर्मा तैनात हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.