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सांस्कृतिक भव्यता का अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव संपन्न

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मंगलवार को सांस्कृतिक और धार्मिक भव्यता के साथ संपन्न हुआ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 08:55 AM (IST)
सांस्कृतिक भव्यता का अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव संपन्न
सांस्कृतिक भव्यता का अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव संपन्न

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मंगलवार को सांस्कृतिक और धार्मिक भव्यता के साथ संपन्न हुआ। शिल्प और सरस मेले के अंतिम दिन शिल्पकारों और कलाकारों ने रुख्सत होने से पहले फिर से अगले वर्ष में मिलने का वादा किया। वर्ष 2020 में 25 दिसंबर को शुक्रवार के दिन दीपदान कार्यक्रम होगा।

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महोत्सव में प्रदेश ही नहीं देश के कोने-कोने से लोग शिल्पकला का दीदार करने के लिए पहुंचे। इंटरनेट और दूरसंचार के साधनों के जरिये इस महोत्सव की झलकियों को दुनिया के कोने-कोने में बैठकर लोगों ने देखा। गत वर्ष 40 लाख पर्यटकों के गीता महोत्सव में आने का दावा किया गया था और इस बार इससे भी ज्यादा बताया जा रहा है। हालांकि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से अभी तक कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया है। ब्रह्मासरोवर तट पर 23 नवंबर से यह महोत्सव शुरू हुआ था। सोफा सेट बनाने की कला उत्कृष्ट

फोटो नं.- 21

महोत्सव में मंगलवार के उत्कृष्ट स्टाल के रुप में स्वयं सहायता समूह की सजदा के स्टाल को सर्वश्रेष्ठ चुना गया। इस स्टाल की संचालिका गांव दूधगढ़ जिला सहारनपुर की रहने वाली सजदा हैं। वह लकड़ी के सोफे, डायनिग टेबल, सेंटर टेबल, काफी सेट, स्टूल, फूलदान तैयार करती हैं। इस स्टाल को एडीसी पार्थ गुप्ता के मार्गदर्शन में सरस मेला प्रबंधन टीम के सदस्यों ने उत्कृष्ट स्टाल के रुप में चुना है। संचालिका सजदा ने बताया कि उनके समूह में 12 महिलाएं काम करती हैं। उसके समूह की महिलाओं को एक सोफा सेट तैयार करने में पांच से छह महीने का समय लगता है। हजारों सूचनाओं से मिला पर्यटकों को फायदा

जिला सूचना और जन सम्पर्क विभाग की ओर से स्टाल नम्बर एक पर बनाए गए सूचना केंद्र पर 23 नवंबर से 10 दिसंबर तक हजारों सूचनाएं देकर बिछड़ों को मिलाने, खोए बच्चों को अभिभावकों से मिलाने, स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ-साथ खोए हुए सामान व अन्य मामलों का निपटारा करने का काम किया गया। इस सूचना केंद्र की कमान खंड प्रचार कार्यकर्ता बरखा राम, कृष्ण लाल, राजकुमार ने संभाली हुई थी। बहरुपिये और कच्ची घोड़ी रही आकर्षण का केंद्र

सांस्कृतिक कलाकारों के अलावा राजस्थान के बहरूपिए व कच्ची घोड़ी के साथ-साथ पंजाब से आए बाजीगर ग्रुप भी महोत्सव में आकर्षण का केंद्र रहे। नौशाद सहित अन्य बहरुपियों ने इस उत्सव में विभिन्न रूप बदल कर पर्यटकों का दिल जीत लिया।


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