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नाटक में दिखाया किस प्रकार होते हैं औरत पर अत्याचार

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र सेठ नवरंग राय लोहिया जयराम कन्या महाविद्यालय में हरियाणा कला परिषद के मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर एवं महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में मसखरे थियेटर ग्रुप ने पंजाबी नाटक जद मैं इक औरत हुन्दी हां नाटक का मंचन किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Feb 2019 06:56 AM (IST)Updated: Thu, 28 Feb 2019 06:56 AM (IST)
नाटक में दिखाया किस प्रकार होते हैं औरत पर अत्याचार
नाटक में दिखाया किस प्रकार होते हैं औरत पर अत्याचार

नाटक में दिखाया किस प्रकार होते हैं औरत पर अत्याचार जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : सेठ नवरंग राय लोहिया जयराम कन्या महाविद्यालय में हरियाणा कला परिषद के मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर एवं महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में मसखरे थियेटर ग्रुप ने पंजाबी नाटक जद मैं इक औरत हुन्दी हां नाटक का मंचन किया। जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिगला ने बताया कि पाली भूपिद्र द्वारा लिखा गया तथा नागेंद्र कुमार शर्मा द्वारा निर्देशित यह नाटक 1947 से पहले के दंगों पर आधारित है। नाटक में दिखाया कि किस प्रकार एक औरत पर अत्याचार होते हैं। मल्टी आर्ट सेंटर के क्षेत्रीय निदेशक संजय भसीन, महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. गीता गोयल, जयराम शिक्षण संस्थान का शैक्षणिक तथा गैर-शैक्षणिक स्टाफ एवं छात्राएं मौजूद थी।

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नाटक में एक औरत के जीवन की त्रासदी का विशद एवं भयावह चित्रण करते हुए कलाकारों ने आजादी से पूर्व एवं बाद की भयानक स्थितियों पर प्रकाश डाला। हिदू-मुस्लिम के आपसी प्रेम ने किस प्रकार घृणा का रूप ले लिया। दो परिवारों का चित्रण है। हिदू परिवार मुस्लिम परिवार में सुरक्षा के लिए शरण मांगते हैं, लेकिन उस परिवार की औरत इसके विपरीत है क्योंकि विभाजन से पूर्व उसकी बेटी के साथ बदसलूकी हुई थी। वह चाहती है कि उस परिवार की बहू बेटियों के साथ भी वैसा ही सलूक हो, जो उसकी बेटी के साथ हुआ। इस अवसर पर प्राचार्या डॉ. गीता गोयल ने इस नाटक की प्रस्तुति पर क्षेत्रीय निदेशक संजय भसीन तथा टीम का धन्यवाद किया। कहा कि इस नाटक के आयोजन से दर्शकों के अंतर्मन में अनेक विचार कुलबुलाते हैं, जो उसे सोचने पर विवश कर देते है कि आज इस नफरत एवं घृणापूर्ण वातावरण मे मानवता कहीं गुम हो गई है। उन्होंने कहा कि यह एक जीवंत नाटक है। सभी कलाकारों ने बखूबी उस युग की भयावह परिस्थितियों का चित्रण किया। नाटक के अंत में मल्टी आर्ट सेंटर के निदेशक संजय भसीन तथा नाटक के निर्देशक एवं पूरी टीम को स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया।


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