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वैचारिक उन्नति ही सच्ची उन्नति : आचार्य देवव्रत

वैचारिक विकास ही भारतीय गुरुकुलों में शिक्षा का मूल आधार रहा है विचार की शक्ति ही व्यक्ति को दुनिया की भीड़ से अलग करती है और उसे महान बनाती है। इसलिए विद्यार्थी को अपने समय के एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए अपने चितन अपने विचारों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। ये विचार आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में छात्रों को संबोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने व्यक्त किए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 05:52 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 05:52 AM (IST)
वैचारिक उन्नति ही सच्ची उन्नति : आचार्य देवव्रत
वैचारिक उन्नति ही सच्ची उन्नति : आचार्य देवव्रत

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : वैचारिक विकास ही भारतीय गुरुकुलों में शिक्षा का मूल आधार रहा है, विचार की शक्ति ही व्यक्ति को दुनिया की भीड़ से अलग करती है और उसे महान बनाती है। इसलिए विद्यार्थी को अपने समय के एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए अपने चितन, अपने विचारों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। ये विचार आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में छात्रों को संबोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल के संरक्षक आचार्य देवव्रत ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि केवल मात्र धन की प्राप्ति से वास्तविक सुख प्राप्त नहीं हो सकता, बल्कि अच्छी शिक्षा के साथ उत्तम स्वास्थ्य और उच्च विचारों से ही मनुष्य सच्चे सुख को पा सकता है।

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राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कोरोना पर चिता व्यक्त करते हुए कहा कि देश से कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है, अत: सभी को सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए, थोड़ी-सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व का ही कमाल है कि कोरोना काल में दूसरे देशों की अपेक्षा हमारे देश में न केवल कम हानि हुई, बल्कि देश तेजी से उन्नति की ओर अग्रसर है। पहले जहां सेना के ट्रक भी हम दूसरे देशों से खरीदते थे, वहीं आज टैंक से लेकर लड़ाकू विमान तक स्वयं बना रहे हैं। कोरोना की वैक्सीन भी भारत ने सबसे पहले बनाकर दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि गुरुकुलों की परंपरा रही है कि बच्चों को केवल अक्षरज्ञान न देकर उनका शारीरिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास किया जाए और गुरुकुल कुरुक्षेत्र ऋषियों की इस परंपरा का निर्वहन पूरी निष्ठा से कर रहा है। समय बड़ा मूल्यवान है और विद्यार्थियों को समय के मूल्य को पहचानते हुए एक-एक पल का उपयोग अपने जीवन निर्माण के लिए, राष्ट्र निर्माण के लिए करना चाहिए।

इस मौके पर गुरुकुल के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी, निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर सिंह उपस्थित रहे। मंच संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य ने किया।


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