कमला की बाजरे की खिचड़ी दूर तक मशहूर
-सरस मेले में झज्जर से पहुंचे ग्रामीण महिला गृह-उद्योग भदानी की महिलाएं तैयार कर रही बाज
-सरस मेले में झज्जर से पहुंचे ग्रामीण महिला गृह-उद्योग भदानी की महिलाएं तैयार कर रही बाजरे की खिचड़ी
फोटो संख्या : 18
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
सर्दियों में बाजरे को सबसे ज्यादा गुणकारी एवं स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। खुद कृषि मंत्री ओपी धनखड़ बाजरे के बिस्कुट व लड्डू के कायल हैं। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के सरस मेले में ग्रामीण महिला गृह-उद्योग भदानी की ओर से बाजरे के लड्डू, बिस्कुट, खिचड़ी और आटा तैयार किया गया है। खिचड़ी व आटे की खासियत यह है कि यह चार महीने तक खराब नहीं होगा। कृषि विज्ञान केंद्र झज्जर की ओर से प्रमाणित किया गया है।
सरस मेले में बाजरे से बने उत्पाद लेकर पहुंची कमला का कहना है कि 10 वर्ष पहले स्वयं सहायता समूह शुरूआत की गई थी। शुरुआत तौर पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले उसे कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद गांव में आस-पड़ोस की महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए राजी किया। ग्रामीण माहौल के चलते एक दो महिलाएं ही तैयार हुई। धीरे-धीरे 10 महिलाएं जुड़ीं। अब उनके साथ 300 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। वे महिलाओं द्वारा तैयार किए उत्पादों को देश के हर कोने में आयोजित होने वाले मेले में प्रदर्शित कर रही हैं।
सूरजकुंड व ट्रेड फेयर में सबसे ज्यादा डिमांड
कमला का कहना है कि बाजरे की खिचड़ी, बिस्कुट व लड्डू की सूजरकुंड व ट्रेड फेयर में अच्छी खासी डिमांड हैं। वहां बाजरे की खिचड़ी के साथ आटे को ज्यादा पसंद किया जाता है। बाजरे की खिचड़ी में चावल, चने की दाल तथा बाजरे को कूट कर मिश्रित किया गया है। बाजरे के बिस्कुट तथा लड्डू की बिक्री भी सबसे ज्यादा होती है।
कृषि मंत्री दे चुके हैं मार्के¨टग का भरोसा
कृषि मंत्री ओपी धनखड़ की ओर से बाजरे से बने उत्पादों की मार्के¨टग करने का भरोसा दिया गया है। कृषि मंत्री की ओर से दीवाली पर 10 किलो लड्डू तैयार करवाए थे और भरोसा दिया था कि गुड़गांव में बाजरे से बने उत्पादों की ब्रां¨डग की जाएगी ताकि बाजरे को नई पहचान मिल सके।
दिल्ली में पूसा जाते हैं बाजरे की लड्डू
भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (पूसा) में बाजरे के लड्डू की खूब डिमांड है। कमला का कहना है कि सर्दियों में पूसा संस्थान की ओर से लड्डू तैयार करने का आर्डर दिया जाता है। इससे महिलाओं का रोजगार बढ़ रहा है और समूह से जुड़ी महिलाओं की 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह आमदन हो रही है।