गुरु पूर्णिमा पर धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों में हुआ गुरु पूजन
जिले भर की शैक्षणिक एवं धार्मिक संस्थाओं में गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन किया गया। इस अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं ने गुरु पूजा की और भंडारों का आयोजन किया गया। वेदपाठी संस्थाओं में उपनयन संस्कार आयोजित हुआ। यज्ञ के पश्चात विद्यार्थियों को जनेऊ धारण कराया गया और उनकी इसके बाद गुरु मंत्र दिया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिले भर की शैक्षणिक एवं धार्मिक संस्थाओं में गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन किया गया। इस अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं ने गुरु पूजा की और भंडारों का आयोजन किया गया। वेदपाठी संस्थाओं में उपनयन संस्कार आयोजित हुआ। यज्ञ के पश्चात विद्यार्थियों को जनेऊ धारण कराया गया और उनकी इसके बाद गुरु मंत्र दिया।
ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से जयराम विद्यापीठ की यज्ञशाला में हरवर्ष की भांति गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुकुल परंपरा के अनुसार 101 ब्रह्मचारियों का विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ उपनयन जनेऊ संस्कार हुआ। यह उपनयन संस्कार जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज तथा वेदाचार्य पंडित राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री द्वारा अन्य प्राध्यापकों के साथ पूरे विधि विधान के साथ किया गया। इस मौके पर ब्रह्मचारियों को गुरुजन द्वारा गायत्री मंत्र भी प्रदान किया गया। इस अवसर प्राचार्य रणबीर भारद्वाज तथा वेदाचार्य पंडित राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री ने बताया कि गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति के अनुसार लाखों वर्षों से चली आ रही अद्वितीय परंपरा है।
श्रीमाता वैष्णो देवी मंदिर मथाना में मंगलवार को श्रद्धाभाव से गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पहुंची संगत ने माता संतोषी देवी का गुरु पूजन किया। मंदिर में करवाए गए धार्मिक अनुष्ठान में प्रिसिपल मधु चौहान, बलकार सिंह शेखपुरा, सेवा सिंह चौहान, डॉ. दविद्र कुमार यजमान रहे।
वहीं श्रीब्राह्मण एवं तीर्थाेद्धार सभा द्वारा संचालित कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय में गुरु पूर्णिमा पर 19वां यज्ञोपवीत संस्कार समारोह का आयोजन किया गया। वेद विद्यालय के आचार्य नरेश के नेतृत्व में वेदपाठी ब्रह्मचार्यों ने यज्ञोपवीत धारण किया। इस अवसर पर यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा ने मुख्यातिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने नए वेदपाठी ब्रह्मचारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार सनातन धर्म का एक मुख्य संस्कार है, जो कि वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है। आचार्य नरेश ने वेद मंत्रों के उच्चारण के बीच वेद विद्यालय में प्रवेश पाने वाले ब्रह्मचारियों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया।
स्वामी संदीप ओंकार कुरड़ी वाले द्वारा कन्या पूजन कर भंडारे का श्रीगणेश किया गया। गुरु पूजा श्रद्धालुओं द्वारा गुरु आसन पर विराजमान स्वामी शक्तिदेव, स्वामी संदीप ओंकार एवं स्वामी संतोष की 1008 गुरु ज्योति के साथ सामूहिक गुरु वंदना कर पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर दूरदराज क्षेत्रों से आए हुए श्रद्धालुओं ने सदगुरु के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।