बुराइयों से दूर रख सामाजिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है गुरमत साहित्य : सिंह
गुरुनानक खालसा कालेज करनाल के डा. गुरिद्र सिंह ने कहा कि गुरमत साहित्य सभी मनुष्यों को काम क्रोध लाभ मोह और अंहकार जैसे विकारों से दूर रखकर सामाजिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है। मनुष्यों का धर्म का वास्तविक रूप समझना होगा।
संवाद सूत्र, शाहाबाद मारकंडा : गुरुनानक खालसा कालेज करनाल के डा. गुरिद्र सिंह ने कहा कि गुरमत साहित्य सभी मनुष्यों को काम, क्रोध, लाभ, मोह और अंहकार जैसे विकारों से दूर रखकर सामाजिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है। मनुष्यों का धर्म का वास्तविक रूप समझना होगा। वह सोमवार को आर्य कन्या महाविद्यालय में पंजाबी विभाग की ओर से गुरमत साहित्य की मानव जीवन में भूमिका विषय पर करवाए गए व्याख्यान में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। उन्होंने भारतीय धर्मों के बारे में बात करते हुए सनातन धर्म से लेकर आधुनिक धर्म तक विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही लोक धर्म व विशिष्ट धर्म के अंतर बताते हुए उन्होंने धर्म के वास्तविक रूप को समझने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने व्याख्यान में गुरमत साहित्य के केंद्र बिदु और मध्य कालीन साहित्य में गुरमत साहित्य के महत्व का वर्णन किया। डा. सिमरजीत कौर ने प्रोफेशनल करियर के बारे में छात्राओं को विस्तार से जानकारी दी। महाविद्यालय की प्राचार्या डा. सुनीता पाहवा ने सभी का आभार जताया। मंच का संचालन डा. मुमताज ने किया।