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खरे से खोटा हुआ गोल्डन कार्ड

आयुष्मान भारत योजना के दम पर निजी अस्पतालों में उपचार कराने पहुंच रहे मरीजों को झटका लग रहा है। जिले में एक लाख 60 हजार में से 19 हजार लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनने के बाद ब्लॉक हो गए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 05:37 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 05:37 AM (IST)
खरे से खोटा हुआ गोल्डन कार्ड
खरे से खोटा हुआ गोल्डन कार्ड

विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र

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आयुष्मान भारत योजना के दम पर निजी अस्पतालों में उपचार कराने पहुंच रहे मरीजों को झटका लग रहा है। जिले में एक लाख 60 हजार में से 19 हजार लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड बनने के बाद ब्लॉक हो गए। इन कार्डों को योजना की शुरुआत में बिना केवाइसी बनाया गया था। जब कार्डों में नाम, जन्मतिथि, पता और परिवार के साथ सही मिलान नहीं हुआ तो राज्य के जन आरोग्य योजना प्रशासन ने इन्हें ब्लॉक कर दिया। मगर इस वजह से निजी अस्पतालों में उपचार कराने पहुंच रहे कई मरीजों को ऐन मौके पर लोगों के सामने हाथ पसारने पड़े। हालांकि इसमें सुधार करने के लिए जिला स्तर पर आयुष्मान भारत योजना टीम एक्टिव हो गई है। निजी अस्पतालों की मदद से गोल्डन कार्ड बनाने के लिए कैंप लगाने शुरू कर दिए गए। सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई प्रश्नचिह्न न लगें, इसलिए ब्लॉक हुए गोल्डन कार्ड धारकों को फोन, मैसेज व आशा वर्कर के घर-घर जाकर जागरूक करना शुरू दिया गया है। हर्निया का ऑपरेशन कराने के लिए पसारने पड़े हाथ फोटो संख्या : 10 गांव बिशनगढ़ निवासी पवन कुमार ने बताया कि उन्हें अचानक हर्निया की दिक्कत हो गई, जिसके बाद उन्होंने गोल्डन कार्ड के दम पर एक निजी अस्पताल में आपरेशन कराने का कदम उठाया। गोल्डन कार्ड लेकर वे निजी अस्पताल में आपरेशन कराने के लिए पहुंच गए। मगर उन्हें अस्पताल प्रशासन ने बताया कि उनका गोल्डन कार्ड तो बना हुआ है, लेकिन इस पर उपचार संभव नहीं है, क्योंकि उनका सिस्टम यह उठा नहीं रहा है। दर्द उठने की वजह से उन्हें आपरेशन कराना पड़ा जिसके लिए उन्हें अपने संबंधियों से पैसे उधार लेने पड़े। पवन कुमार ने जब कार्ड के रद होने की वजह पूछी तो उन्हें बताया गया कि उनकी जन्मतिथि इसमें गलत है। उन्होंने वह ठीक कराने के लिए दस्तावेज भी जमा करा दिए, दोबारा जब वह उपचार लेने गए तो उन्हें पता गलत होने की वजह बताई गई। उन्होंने फिर शपथ पत्र जमा करा दिया। पवन कुमार का आरोप है कि अभी तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। गोल्डन कार्ड उनके लिए मौके पर काम ही नहीं आया और उन्हें कर्जे पर लेकर पैसे जमा कराने पड़े। यहां-यहां लगाए गए गोल्डन कार्ड बनाने के लिए लगाए गए कैंप -मीरी-पीरी अस्पताल में तीन जनवरी तक सुबह 10 से दोपहर तीन बजे तक -कुरुक्षेत्र नर्सिंग होम एवं सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में नौ जनवरी तक सुबह नौ से तीन बजे तक -सिद्धार्थ अस्पताल में एक जनवरी तक सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक -सिग्नस सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल में 31 दिसंबर तक सुबह दस से दोपहर तीन बजे तक 20 हजार मरीजों ने गोल्डन कार्ड से कराया उपचार जिले में आयुष्मान योजना के तहत अब तक 20 हजार मरीजों का सरकारी व निजी अस्पतालों में उपचार हो चुका है। जिस पर सरकार की ओर से 17 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। 15 जनवरी तक रखा गया ऐसे लोगों के गोल्डन कार्ड बनाने का टारगेट : सूचना अधिकारी आयुष्मान योजना के सूचना अधिकारी उज्जवल कुमार ने बताया कि जिन लोगों के कार्ड पहले केवाइसी बिना बने थे और उनके नाम,पते या जन्मतिथि में कोई अंतर पाया गया उनके कार्ड राज्य की ओर से बंद किए गए हैं। उन्हें फोन करके, मैसेज भेजकर सूचित किया जा चुका है। जबकि आशा वर्करों को घर-घर जाकर ऐसे लोगों के कार्ड बनवाने के लिए प्रति कार्ड पांच रुपये इंसेटिव भी दिया गया है, ताकि जल्द से जल्द ऐसे लोगों के कार्ड फिर से बन सकें। इसके अलावा 15 जनवरी तक का टारगेट रखा गया है ऐसे लोगों के गोल्डन कार्ड बनाने का। इसके लिए निजी अस्पतालों की मदद से गोल्डन कार्ड बनाने के लिए कैंप भी आयोजित किए जा रहे हैं। लोगों से अपील है कि जिन्होंने गोल्डन कार्ड नहीं बनवाए वे गोल्डन कार्ड बनवा लें।


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