ब्रह्मासरोवर से नौ किलोमीटर की दूरी पर एक दिन पहले खत्म हो रहा गीता जयंती महोत्सव
लाखों रुपये ब्रांडिग पर खर्च करने के बावजूद कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के लिए शहर और शहर से बाहर लगाए गए कुछ स्वागत द्वार पर्यटकों को भ्रमित कर रहे हैं। ब्रह्मासरोवर से महज नौ किलोमीटर दूरी पर बनाए गए स्वागत द्वार पर महोत्सव नौ दिसंबर को संपन्न हो रहा है जबकि वास्तव में मेला 10 दिसंबर को संपन्न होगा।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : लाखों रुपये ब्रांडिग पर खर्च करने के बावजूद कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के लिए शहर और शहर से बाहर लगाए गए कुछ स्वागत द्वार पर्यटकों को भ्रमित कर रहे हैं। ब्रह्मासरोवर से महज नौ किलोमीटर दूरी पर बनाए गए स्वागत द्वार पर महोत्सव नौ दिसंबर को संपन्न हो रहा है, जबकि वास्तव में मेला 10 दिसंबर को संपन्न होगा। ऐसे में ब्रांडिग पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में यह चूक मेले की व्यवस्था को जगजाहिर कर रही है। पिपली के नजदीक एक दिन पहले ही महोत्सव को संपन्न दिखाने वाले यह स्वागत द्वार यहां आने वाले पर्यटकों को भ्रमित कर रहे हैं। खासकर अंतिम दिनों में आने वाले पर्यटक इन स्वागत द्वारों पर अंकित तिथि को देखकर वहीं से वापस लौट सकते हैं। ये हाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले गीता जयंती महोत्सव के प्रति अधिकारियों की ढींगामुश्ती दर्शा रहा है। वहीं जब इस संबंध में केडीबी सीईओ गगनदीप को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
ब्रह्मसरोवर पर अभी भी चल रहा लीपापोती का काम
ब्रह्मसरोवर तीर्थ जहां पर अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में 23 नवबर से शिल्प एवं सरस मेला शुरू हो चुका है। यहां पर हजारों लोग रोजाना घूमने के लिए आ रहे हैं। उस परिक्रमा पर टूटे हुए पत्थरों को ठीक करने और लीपापोती करने का काम अभी तक चल रहा है। ब्रह्मसरोवर तक आने वाला गुलजारी लाल नंदा मार्ग पहले ही अधर में लटका है, जबकि इससे आगे बिरला मंदिर से ब्रह्मसरोवर की ओर आने वाले रास्ते पर भी फुटपाथ बनाकर उस पर टाइले लगाने का काम अब तक चल रहा है। शिल्प व सरस मेला शुरू होने के बाद भी तैयारियां चल रही हैं।
शहीद स्मारक को भी रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया जाना चाहिए
मामचंद मलिक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव पर पूरा शहर सरकारी इमारतें, चौक, चौराहे रंग बिरंगी रोशनियों से चमक रहे हैं, लेकिन शहीद स्मारक को प्रशासन भूल गया। लघु सचिवालय को लड़ियों से सजाया गया है। ऐसे में उसके ठीक सामने बने स्मारक को भी रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया जाना चाहिए।