गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों के साथ हुआ गणेश विसर्जित
नौ दिनों तक पृथ्वी पर अपना वास रखने के बाद देवों के अधिनायक गणेश की प्रतिमाओं का पवित्र सरस्वती सरोवर में विसर्जन किया गया।
संवाद सहयोगी, पिहोवा : नौ दिनों तक पृथ्वी पर अपना वास रखने के बाद देवों के अधिनायक गणेश की प्रतिमाओं का पवित्र सरस्वती सरोवर में विसर्जन किया गया। इससे पूर्व गणपति जी की महाआरती की गई। गणेश महोत्सव मना रही विभिन्न संस्थाओं द्वारा गणेश जी की विसर्जन यात्रा अपने अपने महोत्सव स्थलों से शुरु हुई। ढोल नगाड़ों की थाप पर श्रद्धालुओं ने जमकर एक दूसरे पर रंग व गुलाल बरसाया व आतिशबाजी भी की गई। गणपति बप्पा मोरया, मंगल मुरती मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ, के जयकारों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। महोत्सव स्थल से चलकर शहर के विभिन्न रास्तों से होते हुए विसर्जन यात्रा सरस्वती तीर्थ, ब्रह्मयोनि तीर्थ तथा प्रांची तीर्थ पर पहुंची। जहां पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। भजन संध्या में गायकों द्वारा गाए गए भजनों से श्रद्धालु झूमने को विवश हो गए। महंत बंसी पुरी ने प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव है। गणों का स्वामी होने के कारण इन्हें गणपति कहा जाता है। गणपति जी पूरे ब्रह्मांड के इष्ट देव है। हर शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की ही पूजा अर्चना होती है। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष में गणपति जी की व्रत एवं पूजा करने से सभी मन्नतें पूर्ण होती है, क्योकि इनका जन्म इसी माह में हुआ था। इसके बाद गणेश जी की महाआरती की गई तथा गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस भी जल्दी आ के जयकारे के साथ गणेश जी की प्रतिमा का विजर्सन किया गया। इस मौके पर महंत बंसी पुरी, स्वामी उत्तम गिरि, स्वामी चमन गिरी, केशव ¨सगला, डॉ. सुदर्शन चुघ, विभा चुघ, जगदीश तनेजा, गौरव आहुजा, भूवन, नमन, संदीप, शंटी, सुखबीर आदि मौजूद रहे।