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पूर्व मंत्री ने धान की खेती पर लगी रोक हटाने को लेकर सीएम को लिखा पत्र

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता अशोक अरोड़ा ने विभिन्न ब्लॉकों में धान की खेती पर रोक लगाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। अरोड़ा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र भेजकर आग्रह किया कि जल बचाने के लिए धान की खेती पर रोक लगाने का निर्णय व्यवहारिक व किसान हितैषी नहीं है। सरकार को पानी की बचत करने के अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए। अशोक अरोड़ा इनेलो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने साथ ही पंचायती जमीन को ठेके पर लेकर धान बोने की चली आ रही परंपरा को बंद करने का भी विरोध किया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 08:31 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:31 AM (IST)
पूर्व मंत्री ने धान की खेती पर लगी रोक हटाने को लेकर सीएम को लिखा पत्र
पूर्व मंत्री ने धान की खेती पर लगी रोक हटाने को लेकर सीएम को लिखा पत्र

फोटो-19

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-धान पर रोक से प्रभावित होंगे किसान, आढ़ती और मजदूर : अशोक अरोड़ा जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता अशोक अरोड़ा ने विभिन्न ब्लॉकों में धान की खेती पर रोक लगाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। अरोड़ा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र भेजकर आग्रह किया कि जल बचाने के लिए धान की खेती पर रोक लगाने का निर्णय व्यवहारिक व किसान हितैषी नहीं है। सरकार को पानी की बचत करने के अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए। अशोक अरोड़ा इनेलो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने साथ ही पंचायती जमीन को ठेके पर लेकर धान बोने की चली आ रही परंपरा को बंद करने का भी विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि गरीब और खेतीहीन लोग ठेके पर जमीन लेकर धान की खेती करते हैं। इससे उनकी आय के साधन खत्म हो जाएंगे। अरोड़ा ने कहा कि कांग्रेस पानी बचाने के हक में है, लेकिन किसानों को नुकसान पहुंचाकर ऐसा किया जान उचित नहीं है। उत्तर हरियाणा को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां से चावल पूरी दुनिया में निर्यात होता है। धान की खेती से किसानों के अलावा आढ़ती, चावल मिल मालिक और मजदूर भी जुड़े हुए हैं। इसलिए सरकार के फैसले का उन पर भी विपरीत असर पड़ेगा।

एक जून से धान रोपाई की अनुमति दें सरकार

अशोक अरोड़ा ने प्रदेश सरकार से अपना फैसला वापस लेकर किसानों को एक जून से धान की रोपाई करने की अनुमति प्रदान करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अब अधिकतर श्रमिक अपने राज्यों में लौट चुके हैं। इसलिए उन्हें धान की रोपाई करने में श्रमिकों की दिक्कत आ सकती है। यदि 15 जून की बजाय उन्हें एक जून से ही धान की खेती करने की अनुमति मिल जाएगी तो वह श्रमिकों की समस्या आड़े नहीं आएगी।


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