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ब्रह्मसरोवर के घाटों पर झूमी लोक संस्कृति, उमड़ी पर्यटकों की भीड़

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2019 के दूसरे दिन रविवार को ब्रह्मसरोवर के घाटों को लोक संस्कृति की धूम रही और दिन भर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहा। अलसुबह आइजीएम 2019 रन में हिस्सा लेने के लिए पुरुषोत्तम पुरा बाग में युवाओं का हुजूम उमड़ा तो सूरज चढ़ते ही ब्रह्मसरोवर के घाटों पर पर्यटकों की चहल कदमी बढ़ने लगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 09:45 AM (IST)
ब्रह्मसरोवर के घाटों पर झूमी लोक संस्कृति, उमड़ी पर्यटकों की भीड़
ब्रह्मसरोवर के घाटों पर झूमी लोक संस्कृति, उमड़ी पर्यटकों की भीड़

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2019 के दूसरे दिन रविवार को ब्रह्मसरोवर के घाटों को लोक संस्कृति की धूम रही और दिन भर पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहा। अलसुबह आइजीएम 2019 रन में हिस्सा लेने के लिए पुरुषोत्तम पुरा बाग में युवाओं का हुजूम उमड़ा तो सूरज चढ़ते ही ब्रह्मसरोवर के घाटों पर पर्यटकों की चहल कदमी बढ़ने लगी। रविवार की छुट्टी के चलते दिन भर क्राफ्ट और सरस मेले में लोगों की भीड़ लगी रही। इस भीड़ ने मेले से जमकर खरीदारी की। दूसरी ओर कई राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी लोक कला की बेहतरीन प्रस्तुति दी। उत्तरी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के कलाकारों ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड कार्यालय के साथ बने जनाना घाट की छत पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी। इसके साथ ही लुप्त होती जा रही लोक कलाओं को लेकर पहुंचे कलाकारों ने घाटों पर जगह-जगह अपनी कला का प्रदर्शन किया। बाजीगरों की टीम ने अपने करतब दिखाकर पर्यटकों का मनोरंजन किया।

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महोत्सव में लोक कला को मिल रहा संरक्षण

हरियाणा की लोक कला और संस्कृति की लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी कई विधाओं को संरक्षित करने का काम अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव कर रहा है। इस महोत्सव में ढेरु गायन गाथा, बाजीगर कला और कच्ची घोड़ी जैसी लोक कलाओं को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर देखा जा रहा है। महोत्सव में लोक कलाकारों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो रहे हैं।

इस महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की लोक कला को पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। इन प्रदेशों के उन लोक नृत्यों को कलाकार प्रस्तुत कर रहे हैं, जो लोक कला लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। लोक कलाकार हरपाल नाथ ने बताया कि प्रदेश में करीब 300 कलाकार ही बचे हैं जो बीन, तुम्बा, ढोलक, खंजरी बजा कर जोगी नाथ बीन सपेरा परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। कलाकार हरपाल नाथ ने कहा कि उनके ग्रुप में अजमेर नाथ, रमेश नाथ, ईश्वर नाथ, राकेश नाथ, अमन, राजकुमार, सुभाष नाथ आदि कलाकार पहुंचे हैं। सभी कलाकार पारंपरिक वेशभूषा से सुसच्जित होकर बीन, तुम्बा, ढोलक, खंजरी बजाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।

पर्यटकों ने खूब की खरीदारी

शिल्प और सरस मेले में पर्यटकों ने रविवार को जमकर खरीदारी की। दिन भर शिल्प और सरस की दुकानों पर कद्रदानों की भीड़ लगी रही। इतना ही नहीं पर्यटकों की भीड़ ने ब्रह्मसरोवर के तट पर खिली धूप में विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों का स्वाद भी चखा।

महोत्सव की सेल्फी

मेले में पहुंचे युवा दिन भर महोत्सव के हसीन नजारों को मोबाइल में कैद करते दिखे। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2019 की रंगोली के साथ खड़े होकर सेल्फी लेने वालों की दिन भर भीड़ लगी रही। इसके साथ ही कलाकारों के साथ भी युवाओं ने जमकर सेल्फी ली।


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