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फूलों की खेती ने श्यामलाल को दिलाई पहचान और खुशहाली

गांव दिल्लीमाजरा के किसान श्यामलाल ने गेंहू धान व गन्ने की खेती छोड़कर गेंदे व गुलाब की खेती को अपनाया है। फूलों की खेती व फूलों के व्यापार करने से श्यामलाल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ। किसान श्याम लाल ने बताया कि पूरे बाबैन के लोग शादी के सीजन में यहां पर कारें सजवाने के लिए आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 06:24 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:24 AM (IST)
फूलों की खेती ने श्यामलाल को दिलाई पहचान और खुशहाली

रवि चौधरी, बाबैन : गांव दिल्लीमाजरा की भूमि में पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती कर गांव दिल्लीमाजरा के किसान श्यामलाल ने पहचान और खुशहाली दोनों हासिल की हैं। उनके साथ ही गांव के अन्य लोगों ने भी पारंपरिक खेती छोड़कर क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। गांव दिल्लीमाजरा के किसान श्यामलाल ने गेंहू, धान व गन्ने की खेती छोड़कर गेंदे व गुलाब की खेती को अपनाया है। फूलों की खेती व फूलों के व्यापार करने से श्यामलाल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ। किसान श्याम लाल ने बताया कि पूरे बाबैन के लोग शादी के सीजन में यहां पर कारें सजवाने के लिए आते हैं। अब उन्हें लोग फूल व्यापारी श्यामलाल दिल्लीमाजरा के नाम से जानते हैं। श्याम लाल ने बताया कि वे फूल की खेती व व्यापार पिछले दो दशकों से कर रहे है। उनका फूल यहां से चंडीगढ़, पंचकुला, शिमला, लुधियाना, सोलन, जम्मू कश्मीर, दिल्ली में सप्लाई होता है। सातवीं पास है श्यामलाल

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फूल किसान व व्यापारी श्यामलाल सातवीं तक पढ़ाई की हुई है। श्यामलाल ने बताया कि उसने अपने रिश्तेदारों को फूल की खेती करते हुए देखा था। जिससे देखकर मेरे मन में भी फूल की खेती करने का विचार आया और गांव में आकर फूल की खेती शुरू की। जिससे उसे लगभग दो लाख रुपये प्रति एकड़ की आमदनी शुरू हुई। गांव में बनाई मंडी

किसान श्यामलाल ने बताया कि अब लगभग पूरा गांव फूल की खेती करता है। जिस पर उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांव में फूल मंडी बनाई। अब पूरे क्षेत्र का फूल हमारे गांव में बिकता है। उन्होंने बताया कि यह मंडी देवराज, मुकेश, श्यामलाल व ओमप्रकाश के सहयोग से बनाई गई है। आज यह फूल मंडी दिनों दिन खूब फल फूल रही है और आगे इसे बड़ी मंडी बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। चुनाव के समय खूब बिकता है फूल

श्यामलाल का कहना है कि चुनाव के समय खूब फूल बिकता है। जब किसी भी गांव में किसी भी नेता का कोई कार्यक्रम होता है तो फूल मालाओं के साथ नेताओं का स्वागत किया जाता है। उन्होंने बताया कि सिचाई तथा निराई गुडाई के साथ फूलों की खेती पर नियमित ध्यान देते हैं। तीन महीने बाद फूल तैयार हो जाता है। तीन महीने बाद ही पौधे से नियमित रूप से फूल निकलता है। फिर पुराने पौधे को निकालकर नया पौधा लगाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि विवाह के समय में फूल की मांग बढ़ जाती है। एक दीवाली के मौके पर बहुत फूल बिकता है।


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