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वित्त मंत्री बोले- रोडवेज यूनियन की 25 में से 24 मांग मानीं, बसें तों आकर रहेंगी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि रोडवेज यूनियन की हड़ताल का कोई औचित्य नहीं है। सरकार ने इनकी 25 में से 24 मांगें पहले ही मान ली हैं। जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि रोडवेज यूनिय

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 06:55 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 06:55 PM (IST)
वित्त मंत्री बोले- रोडवेज यूनियन की 25 में से 24 मांग मानीं, बसें तों आकर रहेंगी
वित्त मंत्री बोले- रोडवेज यूनियन की 25 में से 24 मांग मानीं, बसें तों आकर रहेंगी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि रोडवेज यूनियन की हड़ताल का कोई औचित्य नहीं है। सरकार ने इनकी 25 में से 24 मांगें पहले ही मान ली हैं। 720 प्राइवेट बसों को हायर करना पॉलिसी मैटर है। यह बसें तो आकर ही रहेंगी। कब तक आएंगी, इस पर उन्होंने पुख्ता तौर पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। वे शुक्रवार को नीलकंठ यात्री निवास में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। वित्त मंत्री ने कहा कि पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश सहित तमाम राज्यों में प्राइवेट बसें चलती आ रही हैं। उनके परिवहन विभाग मुनाफे में चल रहे हैं। हरियाणा रोडवेज परिवहन निगम 650 से 700 करोड़ रुपये घाटे में चल रहा है। हम हर साल यह घाटा कैसे वहन कर सकते हैं। बॉक्स

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मनोहर लाल ही कर सकते थे

वित्त मंत्री ने कहा कि रोडवेज यूनियन के विरोध के चलते कई महत्वपूर्ण सरकार नहीं ले पा रही है। यह ऐसे फैसले हैं, जिनसे सीधे जनता को राहत मिलेगी। इस हड़ताल से वह सरकार पर दबाव बनाकर गलत मांग को मंगवाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ही इतना कड़ा फैसला ले सकते थे और उन्होंने लिया। बॉक्स

सरकार पर कर्ज एक लाख 40 हजार करोड़

कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि वर्ष 2014-15 के बजट के अनुसार सरकार पर 79 हजार करोड़ रुपये कर्ज था। बिजली निगमों का कर्ज इससे अलग था, जो कि 32 हजार 500 करोड़ रुपये थे। इसकी देनदारी की जिम्मेदारी सरकार की थी। इस पर 11 प्रतिशत ब्याज था, जो सरकार को ज्यादा लगा। इसलिए सरकार ने 25950 करोड़ रुपये अपने पास शिफ्ट कर लिया। इससे बिजली निगम को 2750 करोड़ रुपये का फायदा हुआ, जबकि प्रदेश सरकार को 750 करोड़ सालाना का। मौजूदा समय में सरकार पर अनुमानित कर्ज एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये है।


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