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खरीद एजेंसी व मिलरों की सांठगांठ से किसानों व आढ़तियों का हो रहा शोषण

लाडवा। लाडवा अनाज मंडी में खरीद एजेंसी हैफेड व मिलरों की सांठगांठ से किसानों व आढ़तियों का शोषण शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 07:25 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 07:25 AM (IST)
खरीद एजेंसी व मिलरों की सांठगांठ से किसानों व आढ़तियों का हो रहा शोषण
खरीद एजेंसी व मिलरों की सांठगांठ से किसानों व आढ़तियों का हो रहा शोषण

संवाद सहयोगी, लाडवा : लाडवा अनाज मंडी में खरीद एजेंसी हैफेड व मिलरों की सांठगांठ से किसानों व आढ़तियों का शोषण शुरू हो गया है। खरीद एजेंसी के अधिकारी कस्टम मिलर्स के इतने ज्यादा दबाव में हैं कि वे मिलर्स को सरकारी निर्देशों के बारे में कहने व उनका पालन सुनिश्चित कराने से भी कन्नी काटते नजर आ रहे हैं।

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अनाज मंडी में हैफेड व खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने दो अक्टूबर तक किसानों का मंडी में पड़ा नमी मीटर के माध्यम से 17 से 19 प्रतिशत नमी के हिसाब से खरीदा था। हैफेड ने खरीदे गए इस धान का आढ़तियों ने भागदौड़ करके किसी तरह लदान कराया। इस धान को हैफेड राइस मिल में उतारा गया, जहां किसी कस्टम मिलर्स के कर्मचारियों ने अपने नमी मीटर में इस धान में नमी अधिक बताकर धान उतरवाने से मन माना काम कर रहे हैं। एक अक्टूबर को उनकी दुकान पर गांव बडौंदा के किसान जोगिद्र सिंह के कॉमन वैरायटी के धान की ढेरी को नमी मीटर में चैक किया गया, जिसमें नमी की मात्रा 17.5 आई थी। इस धान को एक किलोग्राम प्रति क्विंटल कटौती से हैफेड ने खरीद लिया। आढ़ती ने बताया कि खरीदे गए धान को उठवाने के लिए उन्होंने हैफेड अधिकारियों व ठेकेदार को कई बार कहा, लेकिन धान नहीं उठाया गया। इसके बाद उन्होंने हैफेड के जिला प्रबंधक, मार्केट कमेटी सचिव, प्रबंधक हैफेड को ई-मेल के माध्यम से पत्र लिखा। बाद में किसी तरह धान के तीन अक्टूबर को 400 कट्टे धान के लदवाकर हैफेड के राइस मिल भेजे गए। जहां कॉमन धान में नमी 20 प्रतिशत बताकर उतारने से इंकार कर दिया गया। हैफेड प्रबंधक ने एक अन्य राइस मिल में इस कामन धान के कट्टे भेजे, वहां पर भी उन्हें नहीं उतारा गया। बाद में ये धान के कट्टे वापस आढ़ती की दुकान पर ही लाकर उतार दिए गए। आढ़ती ने बताया कि मंडी में जिस मीटर में नमी का पता चला वह मीटर डिजीटल था, जबकि धान उतारने की जगह पर जिस मीटर में नमी जांची वह दाब मीटर था। दोनों मीटरों में दो से तीन प्वाइंट का अंतर है। किसान जोगिद्र सिंह ने कहा कि यदि उसके धान में नमी ज्यादा थी तो अधिकारी ने इस धान को खरीदा ही क्यों और जब खरीद लिया तो उसके नमी को ज्यादा बताने का क्या मतलब। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में डीसी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत करेगा। उन्होंने आरोप लगाया की अधिकारी राइस मिलर्स के साथ मिलकर अधिक कट लगाकर किसानों को सरेआम लूट रहे है। हैफेड के प्रबंधक कुलदीप जागड़ा का कहना है कि आढ़ती की दुकान पर वापस लाकर उतारे गए धान के कट्टों से सैंपल लेकर नमी मीटर में जांच कराई गई। डिजिटल मीटर में धान में नमी की मात्रा 16.5 आई है। जबकि दाब वाले मीटर में नमी की मात्रा 19 पाई गई।


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