प्रदर्शनी में ऋषि दयांनद के जीवन और संदेशों से कराया रूबरू
गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आर्य समाज के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती के 196वें जन्मोत्सव पर प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में ऋषि दयानंद के जीवन और उनके संदेशों से रूबरू कराया गया।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आर्य समाज के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती के 196वें जन्मोत्सव पर प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में ऋषि दयानंद के जीवन और उनके संदेशों से रूबरू कराया गया। विद्यार्थियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर आर्य समाज के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रण लिया। गुरुकुल के संरक्षक एवं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने समस्त गुरुकुल परिवार को महर्षि दयानंद के जन्मोत्सव की शुभकामनाएं दी।
मुख्यातिथि प्रधान कुलवंत सिंह सैनी ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती विद्या, बल, धर्म, योग, तर्क-युक्ति, प्रमाण, प्रतिभा, सुदृढ़ इच्छाशक्ति व निर्भीकता समेत अनेक गुणों से युक्त एक असाधारण व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में पूरे देश का भ्रमण किया। उन्होंने समाज को बहुदेवतावाद, जड़पूजा, छुआछूत, बालविवाह, सती प्रथा, फलित ज्योतिष, जादू-टोना, पशुबलि, मद्य-मांसाहार समेत अनेक प्रकार की कुरीतियों से ग्रस्त पाया। महर्षि दयानंद ने इन सभी कुरीतियों पर वेद के सच्चे ज्ञान से कड़ा प्रहार करते हुए भटके हुए लोगों को सही राह दिखाई और वेदों की ओर लोटों का अमर संदेश दिया। युवा पीढ़ी को आर्य समाज को अपनाने के लिए आगे आना चाहिए। गुरुकुल के छात्रों ने गीत, कविता व भजनों से ऋषि दयानंद के जीवन पर प्रकाश डाला। मुख्य संरक्षक संजीव आर्य ने ए ऋषि याद आए.., गुरु देव दयानंद.. समेत कई गीतों से स्वामी दयानंद को याद किया। उन्होंने सबको आर्य समाज के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। प्रधान कुलवंत सैनी ने मंच पर प्रस्तुति देने वाले सभी छात्रों को नकद पुरस्कार दिया।