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नशा मुक्ति केंद्र के कर्मियों को पांच साल से नहीं मिला वेतन, पत्नियों और भाइयों के सहारे परिवार

नशा मुक्ति केंद्र के कर्मियों को पिछले पांच साल से वेतन व मानदेय नहीं मिल पाया है। करीब एक साल से नशा मुक्ति केंद्र पर ताला लटक रहा है। अब बाल भवन की ओर से केंद्र नहीं चलाया जा रहा है। यह डेरा कार सेवा गुरुद्वारा की बिल्डिग में संचालित है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 06:10 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 06:10 AM (IST)
नशा मुक्ति केंद्र के कर्मियों को पांच साल से नहीं मिला वेतन, पत्नियों और भाइयों के सहारे परिवार
नशा मुक्ति केंद्र के कर्मियों को पांच साल से नहीं मिला वेतन, पत्नियों और भाइयों के सहारे परिवार

अनुज शर्मा, कुरुक्षेत्र : नशा मुक्ति केंद्र के कर्मियों को पिछले पांच साल से वेतन व मानदेय नहीं मिल पाया है। अब उनके परिवार का गुजारा पत्नियों के वेतन, भाइयों के सहयोग व ओवरटाइम के सहारे चल रहा है। चौकीदार को तो दिन व रात की नींद को छोड़कर परिवार के लिए चौकीदारी भी ओवरटाइम में करनी पड़ रही है। इसके बाद भी बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा चल रहा है। वहीं करीब एक साल से नशा मुक्ति केंद्र पर ताला लटक रहा है। अब बाल भवन की ओर से केंद्र नहीं चलाया जा रहा है। यह डेरा कार सेवा गुरुद्वारा की बिल्डिग में संचालित है।

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जिला बाल कल्याण अधिकारी सरबजीत सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से नशा मुक्ति केंद्र को चलाने के लिए मिलने वाला बजट पांच साल से नहीं मिला है। जिससे केंद्र के कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा सका। इस विषय पर कई बार सरकार को पत्र भेजा है। 15 दिन पूर्व भी एक एक पत्र भेजा गया है। उसका कोई जवाब उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है।

2015 में आया था अंतिम बजट

जिला बाल कल्याण अधिकारी सरबजीत सिंह ने बताया कि 2015 में नशा मुक्ति केंद्र का बजट आया था। उस समय भी तीन साल का वेतन रुका हुआ था। जिससे बजट आने पर तीन साल का पेंडिग वेतन नशा मुक्ति केंद्र कर्मियों को दिया गया। उसके बाद 2015 के बाद अब 2020 लग चुका है। अभी तक केंद्र की ओर से बजट देने की सूचना तक उन्हें प्राप्त नहीं हुई। नहीं दिया गया। जिस कारण सुविधा ना मिलने के कारण केंद्र को बंद कर दिया गया है।

पत्नी ने संभाली घर की कमान

नशा मुक्ति केंद्र के अकाउंटेंट हरपाल ने बताया कि वर्ष 2015 के बाद जब नशा मुक्ति केंद्र से वेतन मिलना बंद हुआ तो परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। जिसके बाद पत्नी ने ऐसे समय पर एक निजी स्कूल में शिक्षिका लगकर घर की कमान अपने हाथ में ली।

बड़े भाई ने किया सहयोग

साइकोलॉजिस्ट राकेश प्रभाकर ने बताया कि जब से नशा मुक्ति केंद्र में वेतन मिलना बंद हुआ तो उसके परिवार का खर्च चलाने के लिए उसके बड़े भाइ ने आर्थिक सहयोग किया। घर पर पहले दो कमरे किराये पर दे रखे थे। यहां से 5 से 7 हजार रुपये आ जाता है। भाइ का प्रभाकर के नाम से कुरुक्षेत्र में मेडिकल स्टोर है।

नींद त्यागकर रात में की चौकीदारी

चौकीदार बलदेव दास ने बताया कि नशा मुक्ति केंद्र में दिनभर चौकीदारी के बाद परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह अभी तक चौकीदारी कर कहा है। जिसके बावजूद भी खर्च चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।

जब आएगा बजट, तब होगा केंद्र शुरु

जिला बाल कल्याण अधिकारी सरबजीत सिंह ने बताया कि अब बाल भवन द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र बजट आने पर ही शुरू हो पाएगा।


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