उपनिषद काल में नारी बहुत अधिक बुद्धिमती होती थी : डॉ. कामदेव
डीएवी कॉलेज पिहोवा के प्राचार्य डॉ. कामदेव झा ने वेदों में नारी की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ऋगवेद के एक मंत्र ने नारी को सुमंगली कहा गया है। बृहददेवता में 21 ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है जिसमे गार्गी, अपाला, मैत्रयी आदि प्रमुख है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
डीएवी कॉलेज पिहोवा के प्राचार्य डॉ. कामदेव झा ने वेदों में नारी की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ऋगवेद के एक मंत्र ने नारी को सुमंगली कहा गया है। बृहददेवता में 21 ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है जिसमे गार्गी, अपाला, मैत्रयी आदि प्रमुख है। इसी प्रकार शुक्ल यजुर्वेद मे नारी को विश्ववारा की संज्ञा दी गई है अर्थात विश्व द्वारा वरण की जाने वाली। उपनिषद काल में नारी आज के समय के समान बहुत अधिक बुद्धिमती और शास्त्रार्थ मे पारंगत होती थी। इसके अतिरिक्त रामायण कालीन कैकेयी के चरित्र को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया। उनके द्वारा भारतीय नारी भारतीय संस्कृति का गौरव रही है, इस पर भी उन्होंने विस्तृत प्रकाश डाला।
डॉ. झा बृहस्पतिवार को सेठ नवरंग राय लोहिया जयराम कन्या महाविद्यालय लोहार माजरा में महानिदेशक उच्च्तर शिक्षा पंचकूला एवं उपाध्यक्ष हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला के निर्देशानुसार संस्कृत सप्ताह के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्यातिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। भारतीय संस्कृति मे नारी की भूमिका के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डा. गीता गोयल ने कहा कि आज की नारी पुरुषों के बराबर अधिकार रखती है और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज के हर क्षेत्र में प्रतिनिधित्व करने में सक्षम है। उन्होंने सभी छात्राओं को विदुषी नारियों से प्रेरणा लेने की बात कही। इस अवसर पर डॉ. रीटा दत्ता, डॉ. परमजीत कौर, अमरजीत कौर, नीरू और कविता कान्यान थीं। अंत में संयोजिका डॉ. शीला बठला द्वारा मुख्यातिथि, प्राचार्या, स्टॉफ सदस्य एवं छात्राओं का धन्यवाद किया।