आनलाइन शिक्षा देकर सामाजिक कार्यो में बंटाया हाथ
करीब दो साल से कोविड-19 के प्रतिकूल हालात में सबसे अधिक समस्या शिक्षा क्षेत्र में रही। प्रदेश सरकार ने स्कूल-कालेज व विश्वविद्यालय तक बंद कर दिए।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : करीब दो साल से कोविड-19 के प्रतिकूल हालात में सबसे अधिक समस्या शिक्षा क्षेत्र में रही। प्रदेश सरकार ने स्कूल-कालेज व विश्वविद्यालय तक बंद कर दिए। कोरोना महामारी के दौरान अधिकतर दिन शिक्षक व छात्रों के लाकडाउन में ही गुजरे। ऐसे में शिक्षा विभाग ने आनलाइन शिक्षा पर जोर देना शुरू किया। इस दौरान संसाधनों की कमी होने के कारण जिले के कुछ शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक कार्याें में भी खूब बढ़-चढ़कर भाग लेकर आमजनों की मदद की और लोगों को कोविड-19 के प्रति जागरूक भी किया।
दो हजार पौधे लगाए
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राजकीय विद्यालय हथीरा के जीव विज्ञान के प्राध्यापक डा. तरसेम कौशिक ने बताया कि कोरोना महामारी में सब लोगों के मन में भय बैठ गया था। उस दौरान उन्होंने साथियों के साथ मिलकर लगभग दो हजार से पौधे लगाए और 500 से अधिक पौधे वितरित किए। वहीं लोगों को मानसिक रूप से मजबूत होने के लिए प्रेरित किया।
सिविल अस्पताल में की सेवा
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राजकीय विद्यालय हथीरा के प्राध्यापक बंसीलाल ने बताया कि जिस समय कोरोना चरम पर था। उन्होंने बिना डरे एलएनजेपी अस्पताल में जय मां सेवा समिति के साथ मिलकर सुबह शाम चाय नाश्ता व खाने का प्रबंध मरीजों के लिए किया और मरीजों व उनके परिजनों को कोविड-19 के प्रति जागरूक किया।
यू-ट्यूब चैनल से कराई पढ़ाई
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राजकीय विद्यालय थानेसर के फिजिक्स लेक्चरर राजेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोना काल में बच्चों को पढ़ाने के लिए अपना यू-ट्यूब चैनल बनाया। जिस पर आसान भाषा में वीडियो तैयार कर वाट्सएप ग्रुपों पर डाली। जिससे आसानी से बच्चों को समझ में आया और अच्छी भी लगी। अब स्कूल खुल गए है। जिसमें फिजिक्स पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आनलाइन पढ़ाई सबसे ज्यादा याद है।
कोविड नियमों का पालन कर पढ़ाया
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राजकीय उच्च विद्यालय पलवल की अंग्रेजी प्रवक्ता सतवंत कौर ने बताया कि कोरोना काल में बीमारी के कारण सब एक-दूसरे से दूर भाग रहे थे। ऐसे वे अपने बच्चों को घर पर बुलाकर शारीरिक दूरी रखकर पढ़ा रही थी। इस दौरान आनलाइन शिक्षा चल रही थी। वहीं कोरोना काल में बच्चों को जुते, खाना और अन्य सभी जरूरत का सामान उपलब्ध कराया।
बच्चों को फोन उपलब्ध करवाए
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राजकीय विद्यालय इस्माईलाबाद से शिक्षक डा. बलवंत सिंह ने बताया कि कोरोना काल में आनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई थी। ऐसे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले जिन बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं थे। उन्हें अपनी जेब से और कुछ सामाजिक संस्थाओं की मदद लेकर फोन उपलब्ध कराए। जिससे बच्चों ने आनलाइन पढ़ाई की।