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सुपर-100 में सिलेक्ट होनहारों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था तक नहीं की

शिक्षा निदेशालय और विकल्प फाउंडेशन की ओर से दसवीं कक्षा में 80 फीसद अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए जेईई व नीट की फ्री कोचिग की सुविधा भले ही कई वर्षों से दी जा रही हो

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 06:10 AM (IST)
सुपर-100 में सिलेक्ट होनहारों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था तक नहीं की
सुपर-100 में सिलेक्ट होनहारों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था तक नहीं की

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : शिक्षा निदेशालय और विकल्प फाउंडेशन की ओर से दसवीं कक्षा में 80 फीसद अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए जेईई व नीट की फ्री कोचिग की सुविधा भले ही कई वर्षों से दी जा रही हो, लेकिन सुपर-100 की परीक्षा उत्तीर्ण कर फ्री कोचिग लेने के प्रथम चरण में सिलेक्ट विद्यार्थियों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था तक नहीं की। जिस कारण विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को इधर-उधर भटकना पड़ा।

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विदित है कि दो नवंबर को सुपर-100 की परीक्षा ली गई थी। जिसमें जिला कुरुक्षेत्र के 36 विद्यार्थियों ने परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रथम चरण में सिलेक्ट हुए थे। जिसके बाद तीन दिन की ट्रेनिग व दूसरे चरण की परीक्षा में भाग लेने के लिए सभी सिलेक्ट हुए विद्यार्थियों को रेवाड़ी स्थित विकल्प फाउंडेशन की संस्थान में पहुंचना था। लेकिन शिक्षा निदेशालय व विकल्प फाउंडेशन की ओर से विद्यार्थियों की सुविधा के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं दी गई। जिसके कारण विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को इधर-उधर भटकना पड़ा। जिसके बाद कोई साधन ना मिलने पर अभिभावकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया।

रेवाड़ी में शिक्षकों के साथ हुआ दु‌र्व्यवहार

शिक्षकों ने बताया कि वैसे तो फाउंडेशन फ्री एजुकेशन देने के दावे कर रहा है। लेकिन विद्यार्थियों के सुविधा के लिए ट्रांसपोर्ट की किसी भी प्रकार कोई व्यवस्था नहीं की। वहीं वे बच्चों को लेकर रेवाड़ी के विकल्प फाउंडेशन के संस्थान में पहुंचे तो वहां पर फाउंडेशन सदस्यों ने बच्चों को एंट्री देकर उन्हें गेट पर ही खड़े रखा। जिस कारण उन्हें देर रात को ही बस लेकर कुरुक्षेत्र लौटना पड़ा। सुपर-100 में चयनित विद्यार्थियों को रेवाड़ी लेकर जाना था। उनके लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं हो पाई थी। बच्चे उनके पास आए तो उन्होंने अपने स्तर पर ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की।

अरुण आश्री, जिला शिक्षा अधिकारी।


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