तीर्थाटन के रूप में विकसित हो रही धर्मनगरी
तीर्थाटन के रूप में धर्मनगरी विकसित हो रही है। ब्रह्मासरोवर के तट पर तिरुपति बाला जी मंदिर से दक्षिण भारत के पर्यटकों का जुड़ाव भी यहां से हो गया है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : तीर्थाटन के रूप में धर्मनगरी विकसित हो रही है। ब्रह्मासरोवर के तट पर तिरुपति बाला जी मंदिर से दक्षिण भारत के पर्यटकों का जुड़ाव भी यहां से हो गया है। देश विदेश से आने वाले पर्यटक न केवल यहां पर ऐतिहासिक स्थल देखने के लिए पहुंचते हैं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी इसकी महत्ता है। पर्यटक एशिया के सबसे बड़े व्यवस्थित सरोवर को देखकर रोमांचित हो उठते हैं वहीं इसके चारों ओर स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल पर्यटकों के लिए ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का भरपूर खजाना है। ऐसे में अगर आप ज्ञानवर्धन करने के साथ-साथ संस्कृति के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो यह पर्यटन के लिए बेहतरीन खजाना है। इन्हें देखकर जरूर जाएं
ब्रह्मासरोवर के पूर्व-उत्तर तट पर तिरुपति बाजाली मंदिर स्थापित है। इस मंदिर को हू-ब-हू उसी वास्तुकला व शिल्पकला से तैयार किया गया है, जो तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् का है, इसलिए यहां पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं। इसके पूर्वी तट पर जयराम विद्यापीठ आश्रम परिसर में वैष्णो देवी की गुफा स्थित हैं। जहां पर माता के पिडी स्वरूप के दर्शन होते हैं। ब्रह्मासरोवर के दूसरे कोने पर 18 मंजिला विशाल मंदिर स्थापित किया जा रहा है। दक्षिण-पश्चिम तट पर गोगा माड़ी स्थित है। दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर, प्राचीन दुर्गा मंदिर और कई प्राचीन मंदिर स्थापित हैं। तीर्थ और पर्यटन से बना है तीर्थाटन शब्द
श्रीब्राह्माण एवं तीर्थोद्धार सभा के प्रधान पवन शर्मा ने कहा कि धर्मनगरी को तीर्थाटन नगरी के रूप में विकसित हो रही है। धर्मनगरी में तीर्थों का महात्म्य है। तीर्थाटन शब्द तीर्थ और पर्यटन से लिया गया है। जहां पर तीर्थों के धार्मिक महत्ता को प्रमुख माना ही गया है साथ ही पर्यटन के दृष्टिकोण से उनका विस्तार और सुंदरीकरण भी करना चाहिए।