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श्रद्धालुओं ने किया मां कात्यायनी की पूजा

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली शक्तिपीठ में मां दुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा की। मंदिरों में सुबह ही श्रद्धालु पहुंचना आरंभ हो गए। श्रद्धालुओं ने मां को नारियल चुनरी व श्रृंगार चढ़ाया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 06:35 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 06:35 AM (IST)
श्रद्धालुओं ने किया मां कात्यायनी की पूजा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली शक्तिपीठ में मां दुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा की। मंदिरों में सुबह ही श्रद्धालु पहुंचना आरंभ हो गए। श्रद्धालुओं ने मां को नारियल, चुनरी व श्रृंगार चढ़ाया। मंदिरों में सरकार की गाइड लाइन के अनुसार थर्मल स्क्रीनिग व हाथों को सैनिटाइज करने के बाद श्रद्धालुओं को अंदर जाने दिया।

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हरियाणा के एकमात्र प्राचीन शक्तिपीठ श्रीदेवीकूप भद्रकाली मंदिर में सुबह मंगला आरती के पश्चात सुबह सबसे पहले मां को शहद, पीले पुष्प गेंदा और हल्दी अर्पित की गई। पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा ने बताया कि महर्षि कात्यायन के घर जन्म होने के कारण मां का नाम कात्यायनी पड़ा। एक कथानुसार गोपियों ने भी कृष्ण के प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी, इसलिए तब से अविवाहित कन्याएं विवाह संबंधी मामलों के लिए इनकी पूजा करती है। मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था। मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। उसके बाद शुंभ और निशुंभ का भी वध किया गया। पीठाध्यक्ष ने बताया कि वर्तमान युग में मां कात्यायनी का सर्वाधिक महत्व है। यह युग वैज्ञानिक युग हैं और मां कात्यायनी विज्ञान शोध की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। आज मंदिर में सुबह से ही भक्त कतारबद्ध खड़े होकर मां के दर्शन करते रहे। मंदिर में जयकारों के उद्धोष होते रहे। सुबह से शाम तक भंडारे भी चलते रहे, जिसमें मुख्य यजमान सुभाष कोड़ा, मनोज वधवा रहे। पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा ने कहा कि जो भी भक्त मंदिर आ रहे हैं वे कोरोना नियमों का पालन जरूर करें और कोरोना महामारी के कारण मंदिर आने में असमर्थ भक्त, मंदिर के कार्यक्रमों में आनलाइन जरूर सम्मिलित हो। ब्रह्मसरोवर स्थित प्राचीन श्रीदुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजन किया। मंदिर में अष्टमी को लेकर तैयारियां की गई है। मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है।


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