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फसल अवशेषों को नहीं जलाएंगे तो बचेगी धरती

पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे फोटो संख्या 03 फसल अवशेष प्रबंधन पर जागरण विमर्श

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 04:43 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 06:13 AM (IST)
फसल अवशेषों को नहीं जलाएंगे तो बचेगी धरती
फसल अवशेषों को नहीं जलाएंगे तो बचेगी धरती

पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे फोटो संख्या : 03

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फसल अवशेष प्रबंधन पर जागरण विमर्श में लिया फैसला, पर्यावरण संरक्षण में एकजुट हो प्रयास करें समाज जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेषों को आग लगाने से धरती बंजर होने की राह पर चल पड़ी है। अगर धरती को बंजर होने से बचाना है तो सबसे पहले खेतों में खड़े फानों को आग लगाना बंद करना होगा। इसके लिए केवल सरकार और अधिकारी कुछ नहीं कर सकते। इस धरती को बचाने के लिए हम सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। फसल अवशेष प्रबंधन पर दैनिक जागरण के सहयोग से जागरण विमर्श में विशेषज्ञों ने यही आम राय बनाई है। कृषि विशेषज्ञों से साफ कहा कि अगर अब भी जागरूक नहीं हुए तो 50 से 100 सालों में इस धरती से पानी के खत्म होने और इसके बंजर होने की भविष्यवाणी सच हो जाएगी। हम जागरूकता के अभाव में लगातार इसी भविष्यवाणी की ओर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इस मौके पर अंकुश कुमार, विशाल मैहला, संजय विज मौजूद रहे। बढ़ जाता है धरती का तापमान

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फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों में आग लगाने से धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे मिट्टी की ऊपरी सतह सख्त हो रही है। ऊपरी सतह सख्त होने पर इसकी पानी सोखने की क्षमता कम होती जा रही है। पानी के ना सोखने पर भी कई-कई दिनों तक खेत में पानी खड़ा रहता है। इससे फसलों को नुकसान होता है। इतना ही नहीं आग से मित्र कीट नष्ट हो जा रहे हैं। इन्हीं मित्र कीटों के नष्ट होने पर फसल तक पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते, जिस कारण पैदावार लगातार कम होती जा रही है। इससे बचने के लिए फानों को आग से बचाना होगा। फानों को खेत की मिट्टी में मिलाने से इसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।

डॉ. हरिओम, कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक हर वर्ग को होना पड़ेगा जागरूक फोटो संख्या : 05

पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चे, बुजुर्ग और महिला सभी को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जागरूक होकर घर पहुंच अपने माता-पिता के साथ इस बारे में बात करेंगे। जब वह अपने मां-बाप को फानों में आग लगाने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताएंगे तो इसके परिणाम बेहतर रहेंगे। फानों में आग लगाने से पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है यह सभी के लिए खतरनाक है। जब पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ने लगती है। सांस के रोगियों के लिए तो इन दिनों में घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि हम ऐसा कोई काम ना करें, जिससे पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा मिले।

डॉ. प्रेम लता, कृषि विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र आम जन को भी जागरूक करना जरूरी

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पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए आम जन को भी जागरूक होना होगा। आमजन के जागरूक होने पर ही इस पर काबू पाया जा सकता है। विशेषज्ञों को दायित्व बनता है कि वह फानों में आग लगने से होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। इसके लिए शिक्षक वर्ग भी अपनी जिम्मेदारी निभाए और लगातार विद्यार्थियों को जागरूक करते रहें।

जगमोहन, प्रिसिपल, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, उमरी सरकार दे रही पूरा सहयोग

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फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह जागरूकता का ही असर है कि पिछले साल के मुकाबले फानों में आग लगाने के मामले 31 प्रतिशत कम हुए हैं। जिले में सैकड़ो गांव ऐसे हैं जिनमें फानों में आग लगाने की एक भी घटना नहीं हुई है। इतना सब होने पर भी फानों में आग लगाने की कई घटनाएं सामने आ रही हैं। इन घटनाओं को कम करने के लिए सभी तक पहुंचना जरूरी है। इस काम में स्कूली विद्यार्थी बहुत उपयोगी हो सकते हैं। नई पीढ़ी बात को आसानी से समझती है।

देव किशन, शिक्षक प्रदूषण फैलाने के अन्य कारणों पर ध्यान जरूरी

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पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के अन्य कारणों पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। कई जगहों पर हर रोज कूड़े में आग लगाई जा रही है। इस कूड़े की आग से निकलने वाले धुंए से भी लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा सड़कों पर बढ़ती वाहनों की भीड़ भी पर्यावरण प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। इसके लिए सभी के सहयोग की जरूरत है।

प्रेमलता, शिक्षिका


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