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शिल्प और सरस मेले में बंपर खरीदारी, सोमवार को भी भीड़

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में रविवार को उमड़ी पर्यटकों की भीड़ ने सरस व शिल्प मेले में बंपर खरीदारी की। इससे देश-विदेश से सरस व शिल्प मेले में आए शिल्पकारों के चेहरे चमक उठे। ब्रह्मसरोवर पर 800 से ज्यादा स्टॉल लगे हैं जिन पर सोमवार तक करोड़ों रुपये की खरीदारी हो चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 08:00 AM (IST)
शिल्प और सरस मेले में बंपर खरीदारी, सोमवार को भी भीड़

शिल्प और सरस मेले में बंपर खरीदारी

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जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में रविवार को उमड़ी पर्यटकों की भीड़ ने सरस व शिल्प मेले में बंपर खरीदारी की। इससे देश-विदेश से सरस व शिल्प मेले में आए शिल्पकारों के चेहरे चमक उठे। ब्रह्मसरोवर पर 800 से ज्यादा स्टॉल लगे हैं, जिन पर सोमवार तक करोड़ों रुपये की खरीदारी हो चुकी है। महोत्सव संपन्न होने के बाद सोमवार को भी शिल्प व सरस मेले में बड़ी तादाद में भीड़ उमड़ी। पर्यटकों ने देश भर से आए स्वयं सहायता समूह और व्यंजनों का भी खूब आनंद उठाया। मंगलवार को भी शिल्पकारों को अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है। लघु भारत सिमट गया ब्रह्मसरोवर के घाटों पर

अलग-अलग राज्यों की संस्कृति, खानपान और सामान को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक ब्रह्मसरोवर के तट पर पहुंचे। अलग-अलग राज्यों से आए कलाकार जब अपने लोक गीत व संगीत यहां प्रस्तुत करते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानो ब्रह्मसरोवर के घाटों पर लघु भारत सिमट आया हो। इसके अलावा दूसरे राज्यों से आए स्वयं सहायता समूह अपने साथ ही वहां के खाद्य पदार्थ भी लेकर आए हैं, जिनसे दूसरे राज्यों के व्यंजनों का लोग स्वाद चख पाए हैं। मंगलवार को अंतिम दिन

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर 23 नवंबर से शुरू हुआ शिल्प व सरस मेला 10 दिसंबर तक आयोजित होना है। महोत्सव रविवार को संपन्न हो गया। मगर मंगलवार तक मेला आयोजित रहेगा। मेले में आने वाले पर्यटकों की भीड़ कम नहीं हुई है। सोमवार को भी हजारों पर्यटक मेले का अवलोकन करने के लिए पहुंचे। आखिरी दिन होने के चलते पर्यटक शिल्पकारों से खूब मोलभाव कर रहे हैं। पर्यटकों को सामान पसंद आ रहा है और शिल्पकार भी चाहते हैं कि वे यहां से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा कर ही जाएं। मगर ज्यादा से ज्यादा सामान को वे यहां पर बेचकर जाना चाहते हैं। इसके चलते अब दुकानदार भी पर्यटकों से ज्यादा बहस नहीं करते और थोड़ा बहुत भी बचता देख सामान को बेच रहे हैं।


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