मारकंडा नदी का बांध टूटा, 20 गांवों में बाढ़ का खतरा
संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद(कुरुक्षेत्र) : नैसी गांव के पास उफान पर बहती मारकंडा नदी का बीस फ
संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद(कुरुक्षेत्र) : नैसी गांव के पास उफान पर बहती मारकंडा नदी का बीस फीट का बांध पानी में बह गया। छह घंटे बाद भी प्रशासन और किसान बांध की मरम्मत में कामयाब नहीं हो पाए। टूटे बांध तक मशीनरी ले जाने का रास्ता न होने से पानी लगातार खेतों की ओर बढ़ रहा है। इससे आसपास के बीस गांवों पर खतरा मंडराने लगा है। वहीं सैकड़ों एकड़ धान की फसल में कई-कई फीट पानी जमा हो गया है। आसपास के गांवों में किसी भी समय बाढ़ जैसे हालात पैदा होने के आसार बनते जा रहे हैं।
नैसी गांव के किसान परमजीत चीमा के खेत के पास नदी का पानी बांध से खेतों की ओर रिसने लगा। इसके बाद बांध का कुछ हिस्सा टूट कर खेतों की ओर बह गया। इसके बाद पानी के वेग ने बांध का बीस फीट का भाग तोड़ डाला। किसानों ने मोबाइल पर आसपास के गांवों को सूचना दी। मौके पर दस गांवों के किसान जमा हो गए। सूचना मिलते ही ¨सचाई विभाग के एसडीओ गौरव लांबा मौके पर पहुंचे। ¨सचाई विभाग के कर्मचारियों और युवाओं ने पहले आसपास से पेड़ काटकर नदी की ओर डालकर पानी का वेग कम किया। इसके बाद मिट्टी के कट्टे भरकर बांध की मरम्मत की। बांध टूटने की जगह तक जेसीबी मशीन नहीं ले जाई जा सकी। ऐसे में किसान व ¨सचाई विभाग की टीमें खुद मिट्टी ढोकर मरम्मत करने में लगे हैं।
मौके पर किसान जसवंत ¨सह और इंद्रजीत का कहना है कि रात के समय नदी का तांडव गांवों के लिए खतरा बन सकता है। हिमाचल से नदी में पानी लगातार बढ़ रहा है।
गांव की सरपंच प्रिया शर्मा और उनके पति वीरेंद्र शर्मा पूरा दिन मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि पानी को रोक पाना आसान नहीं लग रहा है। ग्राम पंचायत भी मरम्मत में कर्मचारी जुटाए हुए है।
बाढ़ नियंत्रण कक्ष सक्रिय
मारकंडा नदी किनारे स्थापित पुलिस महकमे के बाढ़ नियंत्रण कक्ष को सक्रिय कर दिया गया है। यहां से हिमाचल से आने वाले पानी की पल पल की रिपोर्ट लेकर आला अधिकारियों को भेजी जा रही है। विधायक ने जुटाए कार्यकर्ता
सूचना मिलते ही विधायक जस¨वद्र ¨सह संधू गांव में पहुंचे। विधायक के पुत्र गगनजोत संधू ने मौके पर जाकर मरम्मत कार्य का जायजा लिया। इनेलो कार्यकर्ता भी मदद में जुटाए गए।
पांच किलोमीटर लंबा बांध
जलबेहड़ा गांव से नैसी तक पांच किलोमीटर लंबा बांध है। इसे किसानों ने बनाकर नदी किनारे खेती की हुई है। अधिकांश किसान बांध के आसपास से कई साल से मिट्टी बेचते आ रहे हैं। जिससे बांध कमजोर हो चला है। मिट्टी नियमों को ताक पर रखकर हर साल बेची जाती है। इस समय बांध केवल चार फुट चौड़ा ही रह गया है।
यह गांव होंगे प्रभावित
नैसी गांव में टूटे बांध के पानी से नैसी, थांदड़ा, टबरा, मडाडों, शेरगढ़, जैतपुरा, जोधपुर, जंधेड़ी, बालापुर, कलावड़ सहित बीस गांवों प्रभावित होंगे। सभी गांवों को सतर्क कर दिया गया है।
किसानों का कहना है कि पहले ही बरसात की मार पड़ी थी। अब नदी का रेतीला पानी रही सही कसर पूरी कर रहा है। यह रेतीला पानी बिछी धान की फसल के लिए कहर है।