दिव्यता वाले देश में कुरीतियों ने लिया जन्म : भद्रा भारती
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की कथा व्यास साध्वी भद्रा भारती ने कहा कि जो देश कभी दिव्यता से ओतप्रोत था, जो जगत गुरु की उपाधि से विभूषित हुआ उसी देश में आज अनेकों कुरीतियों ने जन्म ले लिया है। इन कुरीतियों को समाप्त करने का दायित्व व क्षमता युवा पीढ़ी में है, क्योंकि उनकी भुजाओं में अदम्य बल और मन में कुछ कर गुजरने का जनून होता है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की कथा व्यास साध्वी भद्रा भारती ने कहा कि जो देश कभी दिव्यता से ओतप्रोत था, जो जगत गुरु की उपाधि से विभूषित हुआ उसी देश में आज अनेकों कुरीतियों ने जन्म ले लिया है। इन कुरीतियों को समाप्त करने का दायित्व व क्षमता युवा पीढ़ी में है, क्योंकि उनकी भुजाओं में अदम्य बल और मन में कुछ कर गुजरने का जनून होता है। यही पीढ़ी आज मृतप्राय हो चुकी है। उसकी हालत देख कर तो समाजविदों को भविष्य की ¨चता सताने लगी है। यदि युवा ही निष्क्रिय हो जाएंगे तो आने वाले समाज का भार अपने कंधे पर कौन संभालेगा। साध्वी भद्रा कम्यूनिटी सेंटर सात में श्रीराम कथा का वाचन कर रहीं थीं।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपनी लीलाओं के माध्यम से हमें यही सिखाया है कि कुरीतियों व गलत कार्यो को देख कर हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाने से उनका दमन नहीं हो सकता। उनका विनाश कर समाज को सभ्य व सुंदर बनाने के लिए तो हमें सक्रिय होना होगा। आज समाज में अनेकों व्याधियों ने जन्म ले लिया है, समाज की तबीयत नासाज है। ऐसी गंभीर स्थिति को देखते हुए अब समय मांग कर रहा है कि समाज की रीढ़ को जगाया जाए। अब समाज व राष्ट्र, शौर्य संपन्न युवाओं पर नजरें टिकाए बैठा है। हर काल में युवाओं ने ही समाज में से कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठा कर उनका समूल विनाश करने की कोशिश की। स्वामी विवेकानंद, रामतीर्थ, भगत ¨सह, चंद्रशेखर जैसे अनेकों युवाओं ने सामाजिक व्याधियों के विरुद्ध डट कर शौर्य पूर्ण कार्य किए और हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए। आज भी वैसे ही युवाओं की आवश्यकता है, लेकिन यदि युवा स्वयं ही कुरीतियों की पाश में बंधे हो तो वह किसी और को कुरीतियों से मुक्त कैसे करवा सकते हैं।
मानव का सोना भी दो प्रकार का होता है। एक शरीरिक व दूसरा आत्मिक। जैसे शारीरिक रूप से सोए व्यक्ति को कोई दूसरा जागा व्यक्ति उठा सकता है वैसे ही आत्मिक रूप से जागे हुए, आध्यात्म के तथ्यों को जानने वाले, एक ब्रह्मानिष्ठ तत्ववेत्ता सद्गुरु ही दूसरे सोए हुए मानवों की आत्मा को जगा सकते हैं। हमारे सभी शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु के बिना किसी को भी गति प्राप्त नहीं हो सकती। कथा के तहत दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान से पाधरी अन्य साध्वी बहनों ने संगीतमय भजनों के माध्यम से उपस्थित जनसमूह को आनंद विभोर किया। कथा का समापन विधिवत प्रभु की आरती से किया गया।