बासमती भी ले डूबी किसानों को नहीं कर पाई उद्धार
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : धान के क्षेत्र में खुशबूदार बासमती धान को किसानों की उद्धारक फसल कहा जाता है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : धान के क्षेत्र में खुशबूदार बासमती धान को किसानों की उद्धारक फसल कहा जाता है। किसान कहते हैं कि बासमती आर या पार होती है, लेकिन इस बार पीआर धान में व्यापारियों की लूट की मार झेल रहे किसानों को बासमती भी राहत नहीं दे पाई। आखिरी दिनों में लीफ ब्लाइट के आने के कारण बासमती के उत्पादन में भारी कमी आई है। प्रति एकड़ मात्र दस ¨क्वटल से 12 ¨क्वटल का उत्पादन है। वहीं रेट के लगातार कम होने के कारण किसानों को बासमती भी खास मुनाफा देती नहीं दिख रही।
धान के कटोरे के रूप में प्रसिद्ध कुरुक्षेत्र में पीआर धान के साथ ही बासमती भी अच्छी खासी लगाई जाती है। इस बार क्षेत्र लगभग 38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बासमती लगाई गई है। जो पूरे क्षेत्र का 30 प्रतिशत है। वहीं बासमती का मूल्य भी कुछ खास नहीं मिल रहा है। मंडियों में बासमती इस बार 4300 रुपये प्रति ¨क्वटल बिक रही है। हालांकि यह पिछले वर्ष की अपेक्षा 300 रुपये से 500 रुपये अधिक है, लेकिन खेत में उत्पादन में हो रही कमी ने सब बंटाधार कर दिया है। पिछले वर्ष 14 ¨क्वटल से लेकर 17 ¨क्वटल तक थी। जिससे प्रति एकड़ दस से 15 हजार रुपये का अंतर आ गया है। लीफ ब्लाइट ने किया बड़ा नुकसान किसान बलकार ¨सह, नरेश कुमार और इकबाल ¨सह बताया कि इस बार बासमती में अंतिम माह में लीफ ब्लाइट आ गई थी। इसके अलावा कटाई के समय में पश्चिमी हवाओं के कारण भी उत्पादन पर असर होता है। लीफ ब्लाइट के कारण बाली आते वक्त ही काफी नुकसान हुआ है। जो प्रति एकड़ तीन से चार ¨क्वटल का नुकसान कर गया। इसके अलावा जानबूझकर व्यापारी दाम कम कर रहे हैं। पिछले दिनों दो दिन तक बोली नहीं की और बासमती की खरीद को बंद किया गया है। इसके बाद रेट को कम किया गया है। जिसके कारण रेट 4700 रुपये से 4300 रुपये प्रति ¨क्वटल तक आया है।