प्रदेश के अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों की पेंशन अटकी
पंकज आत्रेय, कुरुक्षेत्र : प्रदेश के तमाम अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों को सरकार की ओर से हर
पंकज आत्रेय, कुरुक्षेत्र : प्रदेश के तमाम अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों को सरकार की ओर से हर माह मिलने वाला भत्ता सात माह से अटका हुआ है। कागजों के चक्रव्यूह में खिलाड़ियों को ऐसा फंसाया कि वे दस्तावेज पूरे करने में ही हांफ गए। कभी उनसे जीवित होने का प्रमाण पत्र मांगा गया तो कभी अवार्डी होने का सबूत। अब आधार कार्ड की शर्त रख दी गई है। बता दें कि अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों को पांच हजार रुपये प्रति माह पेंशन दी जाती है।
हालांकि खेल अधिकारी इसे सरलीकरण मान रहे हैं, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों में नाराजगी है। उन्होंने सरकार की नीयत पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। खिलाड़ियों ने सरकार को खेल नीति में सरलीकरण की नसीहत दी है। पांच नहीं 20 हजार मिलें : हिसार के अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर मंदीप जांगड़ा ने कहा कि खेल विभाग ने उनसे जीवित प्रमाण पत्र, बैंक खाते का विवरण, अर्जुन अवार्डी होने का सर्टिफिकेट जैसे कई दस्तावेज मांगे हैं। जीवित प्रमाण पत्र बनवाने के लिए उन्होंने कई दिन प्रैक्टिस छोड़कर सरकारी दफ्तर के चक्कर काटे, लेकिन बात नहीं बनी। वे स्टेट गेम्स की तैयारी में लगे हैं। इसलिए अभी तक जीवित प्रमाण पत्र नहीं दे सके हैं। मंदीप को 2014 में अर्जुन अवार्ड दिया गया था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस अवार्ड की पेंशन 20 हजार रुपये प्रति माह है। हरियाणा में यह दशकों से पांच हजार ही चल रही है। जींद के अर्जुन अवार्डी ओमप्रकाश ढुल ने बताया कि फरवरी के बाद से उन्हें पैसे नहीं मिल रहे हैं। हमसे पूछ रहे हैं कि हम ¨जदा भी हैं या नहीं। सुझाव दिए : रोहतक से सीनियर अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर अखिल कुमार ने कहा कि सरकार को ऐसी चीजों के लिए सरलीकरण करना चाहिए। उन्हें खेलने के लिए माहौल देने की जरूरत है। आज हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं। ईमेल के जरिये भी कागजात ले सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के जीवन में कुछ भी होता है तो सार्वजनिक होता ही है। ऐसे में जीवित प्रमाण पत्र जैसी औपचारिकताएं जरूरी नहीं हैं। अखिल ने कहा कि वे हिसार में जॉब करते हैं। कोई भी प्रमाण पत्र बनाने के लिए रोहतक जा पाना संभव नहीं हो पाता है। मनोज को नहीं मिली इनामी राशि : कैथल के बॉक्सर मनोज कुमार ने बताया कि उन्हें अभी तक वर्ष 2013 में एशियन बॉ¨क्सग चैंपियनशिप की पुरस्कार राशि भी नहीं मिली है। वर्ष 2014 में अर्जुन अवार्ड मिला था, इसकी पेंशन भी अब नहीं मिल रही है। 2016 के सैफ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था। इसकी पुरस्कार राशि भी नहीं मिली। कहा जाता रहा है कि रेलवे से खेलने के चलते खेल नीति का हवाला देकर यह राशि देने में आनाकानी की जा रही है। मनोज ने कहा कि पहले भी तो यह प्रोत्साहन मिलता रहा है। अब आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हरियाणा की पहचान खेलों से है। यह सही है कि कई माह से अर्जुन अवार्डी खिलाड़ियों को पेंशन नहीं मिल रही है। उनके जीवित प्रमाण पत्र व कुछ अन्य दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन अब आधार कार्ड ही देना होगा। उम्मीद है कि जल्दी ही राशि जारी की जाएगी।
- यशवीर राणा, जिला खेल अधिकारी कुरुक्षेत्र।