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देश में व्यापार, शोध एवं शिक्षा में समृद्धि के पर्याप्त अवसर : मुकुंदा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय साहा बौद्धिक प्रमुख एवं वरिष्ठ प्रचारक सीआर मुकुंदा ने कहा कि समाज में समृद्धि के बारे में दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 11:25 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 11:25 PM (IST)
देश में व्यापार, शोध एवं शिक्षा में समृद्धि के पर्याप्त अवसर : मुकुंदा
देश में व्यापार, शोध एवं शिक्षा में समृद्धि के पर्याप्त अवसर : मुकुंदा

- अर्थ चितन 2021 को लेकर रोजगार के अनुकूलन और गरीबी को खत्म करने के लिए समावेशी विकास के साथ सतत विकास विषय पर तीन दिवसीय आनलाइन वेबिनार का समापन जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय साहा बौद्धिक प्रमुख एवं वरिष्ठ प्रचारक सीआर मुकुंदा ने कहा कि समाज में समृद्धि के बारे में दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है। भारत की आबादी को नकारात्मकता की दृष्टि से न देखकर एक अच्छे साधन की ²ष्टि से कैसे उपयोग किया जाए इस बात पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। वह स्वदेशी शोध संस्थान और भारतीय विश्वविद्यालय संघ की ओर से अर्थ चितन 2021 को लेकर रोजगार के अनुकूलन और गरीबी को खत्म करने के लिए समावेशी विकास के साथ सतत विकास विषय पर तीन दिवसीय आनलाइन वेबिनार के समापन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज स्थान के आधार पर ही रोजगार को पैदा किया जाना जरूरी है। भारत में कृषि, आइटी सेक्टर, व्यापार, शोध एवं शिक्षा में समृद्धि के पर्याप्त अवसर हैं। उन्होंने कहा कि जनसंख्या कोई समस्या नहीं है। उसके प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है जिसके लिए संकल्प शक्ति का होना आवश्यक है।

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मन स्थिति बदलने के बाद ही व्यवस्था परिवर्तन का लाभ मिलेगा

उन्होंने कहा कि जब तक समाज की मन स्थिति नहीं बदलती तब तक व्यवस्था परिवर्तन का पूरा लाभ नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा स्वदेशी जागरण मंच इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले आटोमेशन एवं तकनीक को नौकरी के लिए खतरा बताया गया था जो अभी तक सिद्ध नहीं हो सका। कोविड-19 के बाद अमेरिका में नौ लाख नई नौकरियों को पैदा किया गया है जिसमें आटोमेशन व तकनीक को आधार बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हम जिएंगे तथा जीतेंगे ऐसी मनोस्थिति रखनी होगी।

कार्यक्रम में मंच का संचालन करते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने बताया कि इस तीन दिवसीय वेबिनार में अर्थ चितन 2021 को लेकर जीरो फीसद बीपीएल आबादी वाला गरीबी मुक्त भारत, सभी के लिए आजीविका के साथ रोजगार का अनुकूलन तथा समावेशी विकास के साथ सतत विकास 10 ट्रिलियन डालर सकल घरेलू उत्पाद को छूने के लिए किए जा रहे कार्यों एवं प्रयासों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई।

गांव छोड़ शहर में पलायन कर रहे युवा

महाराष्ट्र के सिद्धगिरि मठ के सिद्धेश्वर स्वामी ने कहा कि एक समय में भारत को गांवों का देश माना जाता था लेकिन आज की युवा पीढ़ी गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। मुंबई स्थित इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान में अर्थशास्त्र की प्रो. आशिमा गोयल ने पीपीटी के माध्यम से बताया कि कोरोना काल के दौर में कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसके कारण विकास दर अच्छी रही। वेबिनार में स्वदेशी जागरण मंच के डा. धनपत राम, गौतमबुद्ध विवि ग्रेटर नोएडा के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद, स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह-संगठक सतीश कुमार, प्रो. विजय कुमार कौल मौजूद रहे।


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