गुमनाम पत्र के माध्यम से कुलपति पर लगाए जातिवाद के आरोप
- पांच पेज के पत्र के अंत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भेजने के बारे बताया जागरण
- पांच पेज के पत्र के अंत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भेजने के बारे बताया
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ एक गुमनाम पत्र के माध्यम से जातिवाद का आरोप लगाया गया है। पत्र में बताया कि गया है कि एक विशेष जाति के लोगों को ही विभिन्न पदों पर आसीन किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को कोई भी पद नहीं दिया गया। जो शिक्षक योग्यता भी नहीं रखते उन्हें भी विभिन्न पदों पर लगाया जा रहा है। पांच पेज के इस पत्र के अंत में समस्त अनुसूचित जाति के अध्यापकगण, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय लिखा गया है। जो आजकल कुवि के शिक्षकों के वाटसएप पर सबके पास पहुंच गया है। अभी तक मामले में यह पता नहीं चल पाया है कि पत्र किसकी और से भेजा गया है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रविवार को एक खुला पत्र वाटसएप के माध्यम से शिक्षकों को मिला है। जिसमें कुवि कुलपति पर सीधे आरोप लगाए गए हैं। जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक विशेष जाति के शिक्षकों को पद देने के साथ ही अनुसूचित जाति के कर्मचारियों के साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा है। जब अनुसूचित जाति के शिक्षक कुलपति से मिलने उनके कार्यालय गए तो उनसे कुलपति ने हाथ तक नहीं मिलाया, जबकि कई शिक्षकों को गले मिलते हैं। पत्र में बताया गया है कि डीएसडब्ल्यू, डीन आफ कॉलेज, महिला चीफ वार्डन, पुस्तकालयाध्यक्ष, डीपीआरओ, पीआरओ, निदेशक युवा एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, विधि विभाग के निदेशक, यूआइइटी के निदेशक आदि पदों नियुक्त किया गया है।
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इन्हें भेजा गया है पत्र
खुला पत्र के नाम से पांच पेज के पत्र के अंत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, स्वास्थ्य मंत्री, राज्यमंत्री कृष्ण बेदी, अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य ईश्वर ¨सह, सांसद राजकुमार सैनी, हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग और प्रधान सचिव को भेजा दिखाया गया है।
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चुनाव के दौरान आते हैं ऐसे पत्र : डॉ. अशोक शर्मा
कुवि प्रवक्ता डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि ये सभी आरोप निराधार हैं। विश्वविद्यालय में कुटा चुनाव हैं और चुनावों में पहले भी ऐसे पत्र आते रहे हैं। इसके अलावा मामले की जांच की जाएगी कि यह पत्र किसने भेजा है।