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गुरु के बाद शिष्यों ने संभाल लिया उनका परिवार

कुरुक्षेत्र श्रीमदभागवद गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सन 1985 में जिस गुरु से उनके विद्यार्थियों ने शिक्षा ली थी। अब उन्हीं विद्यार्थियों ने गुरु के जाने के बाद उनके परिवार का सहारा बन एक मिसाल कायम कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 09:10 AM (IST)
गुरु के बाद शिष्यों ने संभाल लिया उनका परिवार

विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र : श्रीमदभागवद गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में सन 1985 में जिस गुरु से उनके विद्यार्थियों ने शिक्षा ली थी। अब उन्हीं विद्यार्थियों ने गुरु के जाने के बाद उनके परिवार का सहारा बन एक मिसाल कायम कर दी है। यही शिष्य पिछले करीब डेढ़ साल से अपने गुरु के खस्ताहाल मकान के निर्माण में लगे हैं। इतना ही नहीं उनके साथ खड़ी हुई विद्यालय की पूर्व छात्र परिषद भी इस परिवार की दवाई से लेकर खान-पान तक का ध्यान रख रही है। इतना सब करने के बावजूद लंबे समय से बीमार चल रही उनके गुरु की मानसिक दिव्यांग बेटी भी अपने दो छोटे बच्चों को छोड़कर चल बसी हैं। अब गुरु के नाती और नातिन की पूरी देखभाल यही शिष्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं इन दोनों छोटे बच्चों के देखभाल के घर में बाकयदा एक केयर टेकर महिला को छोड़ा गया है। साल 1980 में स्व. कुलभूषण कालड़ा एसएमबी गीता स्कूल में इतिहास और अंग्रेजी पढ़ाते थे। उनके शिष्य रहे जंग बहादुर सिगला ने बताया कि उनके गुरु कुलभूषण कालड़ा का पिछले कई सालों पहले निधन हो गया था। इसके बाद घर में एक मानसिक दिव्यांग बेटी और दो छोटे बच्चे बेसहारा हो गए थे। आय का कोई साधन ना होने पर पेट भरने तक के लिए यह पड़ोसियों पर निर्भर थे। इस बात की जानकारी मिलते ही जंग बहादुर सिगला ने इस समस्या को अपने ग्रुप के सामने रखा। उसी दिन से ग्रुप ने इसके लिए प्रयास करना शुरू कर दिया और परिवार को संभाल लिया। इसके बाद साल भर तक गुरु की दिव्यांग बेटी का इलाज करवाया। लेकिन लंबे इलाज के बाद भी वह बीमारी से उभर नहीं पाई। ऐसे में उनकी अप्रैल माह में मौत हो गई। इसके बाद अब घर में उनके गुरु का 11 साल का नाती और आठ साल की नातिन है। विद्यालय की पूर्व छात्र परिषद ने मिलजुलकर उनकी देखभाल का जिम्मा उठा रखा है।

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परिवार की आय के साधन की भी बनाई योजना

जंग बहादुर सिगला ने बताया कि पूर्व छात्र डा. पंकज शर्मा, राकेश मेहता, संजय चौधरी और अन्य ने मिलकर योजना बनाई की कुछ ऐसा किया जाए कि इस परिवार की आय को कुछ साधन बने। इसके लिए उन्होंने गुरु के पूरे मकान का नवनिर्माण किया। मासिक आय का प्रबंध करने के लिए घर के एक कोने में सड़क की ओर एक दुकान तैयार की गई है, जिसे किराये पर देकर परिवार की रोजी-रोटी का काम चलता है।


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