वार्ड एक एससी के लिए रिजर्व क्यों? हाईकोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता को संतुष्ट करे प्रशासन
शुरुआत से ही आपत्तियों से दो चार हो रही वार्डबंदी को लेकर आखिरकार कानूनी दांव-पेंच आजमाने का दौर शुरू हो गया है। एडवोकेट प्रवीण कैलाश ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका डाल कर सवाल किया कि वार्ड एक में इंदिरा कॉलोनी क्यों जोड़ी गई। यह कॉलोनी वार्ड का हिस्सा ही नहीं है।
जागरण संवाददाता, करनाल : शुरुआत से ही आपत्तियों से दो चार हो रही वार्डबंदी को लेकर आखिरकार कानूनी दांव-पेंच आजमाने का दौर शुरू हो गया है। एडवोकेट प्रवीण कैलाश ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका डाल कर सवाल किया कि वार्ड एक में इंदिरा कॉलोनी क्यों जोड़ी गई। यह कॉलोनी वार्ड का हिस्सा ही नहीं है।
उन्होंने बताया कि ऐसा करते ही बीसी से यह वार्ड एससी श्रेणी में आ गया। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि प्रशासन याचिकाकर्ता को संतुष्ट करे। यदि ऐसा नहीं होता तो वह दोबारा अपील कर सकता है। याचिकाकर्ता ने बताया कि यदि वह संतुष्ट नहीं होते हैं तो दोबारा से कोर्ट की शरण में जाएंगे। वार्डबंदी होने से लेकर अभी तक कई तरह के विवाद उठ चुके हैं। हालांकि कोर्ट में जाने का यह पहला मामला है, लेकिन जिस तरह से लोग नाराज हैं, इससे आने वाले दिनों में कोई दूसरा भी कोर्ट की राह पकड़ सकता है। यह आपत्ति लगाई गई
हाईवे पर झंझाड़ी गांव के पास स्थित इंदिरा कॉलोनी पहले वार्ड नंबर 20 में थी। वार्डबंदी के नोटिफिकेशन में भी इसे यहीं दर्शाया गया था लेकिन नई वार्डबंदी में कॉलोनी की जनसंख्या को वार्ड नंबर एक में शामिल कर दिया गया। इस कॉलोनी की जनसंख्या जुड़ने से उनका वार्ड एससी श्रेणी के लिए आरक्षित होने के नियमों में आ गया।
इसलिए प्रशासन परेशानी में आ सकता है
इस सवाल का जवाब प्रशासन के लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा है। कोर्ट ने क्योंकि बोला है कि याचिकाकर्ता को संतुष्ट किया जाए। अब प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि उन्हें समझाए कैसे? यदि बात नहीं बनती तो आपत्ति उठाने वाले दोबारा कोर्ट में जा सकते हैं। याचिकाकर्ता ने होमवर्क अच्छा किया हुआ है। उनके तथ्यों को देखते ही कोर्ट ने यह निर्णय दिया है। अब यदि कॉलोनी हटती है तो दूसरे वार्ड से भी यह समस्या आ सकती है। यदि नहीं हटती तो मामला कोर्ट में जा सकता है।
निगम सियासत पर पड़ेगा असर
कॉलोनी वार्ड एक से हटती है तो यह वार्ड नंबर 20 में शामिल होगी। इसका असर वार्ड 20 व एक की जनसंख्या पर आएगा। इससे आरक्षित होने वाले वार्डो के समीकरण भी बदलेंगे। नगर निगम के आयुक्त राजीव मेहता का कहना है कि उन्हें कोर्ट के निर्णय के बारे में मौखिक तौर पर ही पता चला है।
अभी लटका है महिला आरक्षित वार्डो का भी ड्रा
22 अगस्त को नई वार्डबंदी फाइनल हो गई थी। इस वार्डबंदी में नए सिरे से एससी-बीसी आबादी की संख्या के अनुसार वार्ड आरक्षित होने तय हुए थे। जनसंख्या के लिहाज से लिहाजा से वार्ड नंबर एक, वार्ड छह, वार्ड 14 व वार्ड 16 एससी कैटेगिरी के लिए आरक्षित होना है। बीसी कैटेगिरी के लिए वार्ड नंबर 20 व 17 आरक्षित होना है। पांच सामान्य श्रेणी की महिलाओं व दो एससी श्रेणी की महिलाओं के लिए वार्ड आरक्षित होने हैं।
क्या चुनाव पर असर पड़ सकता है
यह कोर्ट पर निर्भर करेगा। यदि प्रशासन याचिकाकर्ता को संतुष्ट कर पाता है तो मामला यहीं निपट जाएगा। यदि बात नहीं बनती तो कोर्ट तय करेगा कि होना क्या है? याचिका दोबारा स्वीकार हो जाती है तो चुनाव लटक सकते हैं।