निगम में यह कैसी बचत : वेतन के लाले, रेवेन्यू बढ़ाने के लिए हायर की एजेंसी
जो काम करना तो नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए था उसे कराया जा रहा है एजेंसी से। वह भी तब जबकि निगम में कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है।
जागरण संवाददाता, करनाल : जो काम करना तो नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए था, उसे कराया जा रहा है एजेंसी से। वह भी तब, जबकि निगम में कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। एजेंसी पर खर्च भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि 181 करोड़ रुपये आएगा। यह बजट प्रदेश की सभी नगर निगमों का है। इस तरह से देखा जाए तो करनाल निगम को कम से कम 20 करोड़ रुपये तो खर्च करने ही होंगे। इतनी रकम खर्च करने के बाद भी यह सुनिश्चित नहीं है कि रेवेन्यू बढ़ ही जाएगा।
एजेंसी सिर्फ सलाह और सर्वे के लिए यह रकम वसूल रही है। आगे पैसे कैसे आएं? इस रिपोर्ट को आधार बना कर टैक्स वसूली का काम निगम के अधिकारियों को ही करना है। इसके लिए प्राइवेट एजेंसी यशी कंसलटेशन सर्विस प्रा. लि. को हायर किया है। यह एजेंसी नगर निगम क्षेत्र में सभी मकान, प्लाट व कमर्शियल क्षेत्र का सर्वे करेगी। पहले निगम में 1.47 लाख यूनिट हैं।
नगर निगम ने इस वित्तीय वर्ष में अब तक प्रॉपर्टी टैक्स के माध्यम से 13 करोड़ रुपये एकत्रित किए हैं। जिसमें आवासीय, कमर्शियल दोनों शामिल हैं। फिलहाल प्रॉपर्टी टैक्स से जो रेवेन्यू हो रहा है वह 1.47 यूनिट से हो रहा है। हालांकि इसमें से 30 से 35 प्रतिशत ऐसे केस हैं जिन्होंने प्रॉपर्टी टैक्स जमा ही नहीं कराया है।
क्यों निगमों में हर काम ठेके पर ही हो रहा है
बड़ा सवाल तो यह है कि निगम में हर काम ठेके पर ही हो रहा है। पहले भी जिन कामों को लेकर टेंडर हुए हैं, वह विवादों ही रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर से एजेंसी हायर करने की जरूरत क्यों पड़ी। 1. मल्टी लेयर पार्किंग
नगर निगम के पुराने भवन की जगह मल्टी लेयर पार्किंग बनाई जानी प्रस्तावित है, लेकिन यह मामला इसलिए लटका हुआ है क्योंकि नक्शा पास कराने के लिए पहले किसी एक कंपनी को टेंडर दिया था, बाद में उसका रिजेक्ट कर किसी दूसरी कंपनी को दे दिया गया। 23 दिसंबर 2015 मल्टी लेयर पार्किंग के नक्शे के टेंडर की तारीख निश्चित की गई, लेकिन नहीं हुआ। यह मामला अब तक लटका हुआ है। 2. नगर निगम का कार्यालय
सेक्टर-12 में नगर निगम के नए भवन करीब 33 करोड़ की लागत से बनना है। एक साल से काम बंद है। कायदे से यह भवन जनवरी-2018 में पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन अब तक इसका काम अधर में लटका हुआ है। सैंपल फेल पाए जाने पर कार्य बंद पड़ा है। इसको लेकर भी निगम के अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है। एजेंसियां हायर करने पर खूब लगे आरोप
निगम पर आरोप है कि एजेंसियों की आड़ में कुछ लोगों को नवाजने का काम हो रहा है। मल्टी लेयर पार्किंग के नक्शे पर इतने विवाद हुए कि अभी तक यह मामला कभी इधर तो कभी उधर उलझ रहा है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव पंकज पुनिया ने बताया कि निगम शहर के लिए काम नहीं कर रहा है, ऐसे लग रहा है कि एजेंसियों के लिए काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि निगम के उच्च पदों पर बैठे कुछ अधिकारी एजेंसी हायर करने के लिए हर वक्त तैयार बैठे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
200 से अधिक कर्मचारियों का वेतन पेंडिग
निगम की हालात ऐसे हो चुके हैं कि जनस्वास्थ्य विभाग से निगम में शामिल किए गए करीब 200 कर्मचारियों का वेतन अभी भी लटका हुआ है। फिलहाल इन कर्मचारियों को वेतन मिलने का आश्वासन ही दिया गया है, कब तक वेतन की समस्या का हल होगा यह स्पष्ट नहीं किया गया है।
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निगम आयुक्त राजीव मेहता का कहना है कि प्रॉपर्टी टैक्स का सर्वे 2011 में हुआ था, इसके बाद अब हो रहा है, इससे यूनिट बढ़ेंगी तो जाहिर तौर पर रेवेन्यू भी जेनरेट होगा। लोगों को प्रॉपर्टी टैक्स सहित अन्य बिलों को भरने के लिए हम प्रोत्साहित करते हैं, क्योंकि कर से ही विकास होते हैं, इसलिए लोगों को नियमित रूप से जमा कराने चाहिए। कर्मचारियों के वेतन का मामला मुख्यालय के संज्ञान में ला दिया है। उम्मीद है जल्द समस्या हल हो जाएगी।