डीएसपी व एसएचओ का नाम उछलने पर जांच का दायरा बढ़ाने की तैयारी में विजिलेंस
जागरण संवाददाता करनाल दो दिन पहले ही चार लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार की गई
जागरण संवाददाता, करनाल : दो दिन पहले ही चार लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार की गई महिला एएसआई के प्रकरण में डीएसपी और एसएचओ का नाम उछलने पर अब विजिलेंस टीम जांच का दायरा बढ़ा सकती है। हालांकि इस संबंध में बड़़े अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है लेकिन सूत्रों की मानें तो विजिलेंस जांच टीम ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में दोनों अधिकारियों को जांच में शामिल किया जा सकता है तो आरोपित एएसआई का मोबाइल भी खंगाला जा रहा है, जिससे कई राज खुलने की संभावना जताई जा रही है।
चर्चा है कि आरोपित एएसआई के साथ पुलिस विभाग के कई कर्मियों के अलावा अन्य लोग भी रिश्वतखोरी को अंजाम देने में शामिल रहे हैं, जो मामला उजागर होने के बाद भूमिगत हो गए। वहीं अब अन्य पीड़ित भी सामने आने लगे हैं, जिसके चलते अन्य मामले भी खुल सकते हैं। बता दें कि दो दिन पहले ही मंगलवार को विजिलेंस टीम ने सेक्टर 32-33 थाने में तैनात एएसआई सरिता को विजिलेंस टीम ने चार लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। उसने एक विवाहिता द्वारा अपने ही ससुरालजनों के खिलाफ दहेज व दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था।
महिला एएसआई ने मामले की जांच करते हुए दुष्कर्म के प्रयास को लेकर लगी धाराएं हटाने के एवज में 10 लाख रुपये की मांग की थी तो बाद में आठ लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। जिसके चलते ही चार लाख रुपये पहले दिए जाने थे। फिलहाल आरोपित एएसआई न्यायिक हिरासत में है। उसे पुलिस विभाग से बर्खास्त भी किया जा चुका है।
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जांच में कुछ सामने आया तो आगे बढ़ेगी कार्रवाई
विजिलेंस इंस्पेक्टर सचिन ने भी पहले ही दिन पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट कर दिया था कि मामले में यह सामने आया है कि एएसआई ने लड़के पक्ष को कहा था कि पांच लाख रुपये डीएसपी व दो लाख रुपये एसएचओ को दिए जाने हैं। पूरे मामले की गहनता से जांच की जाएगी, जिसके बाद कुछ ऐसे तथ्य सामने आए तो अवश्य कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। उधर सेक्टर 32-33 थाना के एसएचओ राजीव कुमार का कहना है कि अपनी तसल्ली खुद दे सकते हैं जबकि संबंधित डीएसपी से संपर्क नहीं हो सका।
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जिसने गलत किया, होगी कार्रवाई : एसपी
एसपी गंगा राम पूनिया का कहना है कि अभी मामला विजिलेंस अधिकारियों के पास है। वहां जांच पूरी होने के बाद उनके पास भी मामला आएगा, जिसमें कोई गलत पाया गया तो अवश्य कार्रवाई होगी। भले कोई कर्मचारी हो या अधिकारी। गलत करने वाले के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।