अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ट्रांसपोर्टर, थमे 1000 से ज्यादा कामर्शियल वाहनों के पहिए
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट के आह्वान पर ट्रांसपोर्टर अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार से हड़ताल पर चले गए। इससे जिले के 1000 से ज्यादा कामर्शियल वाहनों के पहिए थमे रहे।
जागरण संवाददाता, करनाल : ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट के आह्वान पर ट्रांसपोर्टर अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार से हड़ताल पर चले गए। इससे जिले के 1000 से ज्यादा कामर्शियल वाहनों के पहिए थमे रहे। पहले दिन ट्रांसपोर्टरों ने सेक्टर चार स्थित ट्रक यूनियन में मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार को चेताया कि जल्द से जल्द उनकी मांगें पूरी करें, नहीं तो हड़ताल से होने वाले नुकसान की पूरी जिम्मेवारी सरकार की होगी।
एसोसिएशन के जिला प्रधान नरेंद्र ¨सह ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों ने बृहस्पतिवार से ही माल की बु¨कग बंद कर दी थी। जब तक सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है उनकी हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल से सामान की ढुलाई पूरी तरह से बंद हो गई। प्रधान नरेंद्र ¨सह ने बताया कि सभी छोटे-बड़े कामर्शियल वाहन बंद रहे। देशभर में एक समान डीजल के रेट करने, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मुख्य मांग है। प्रदर्शन के दौरान सुरेश छाबड़ा, विनोद, दर्शन लाल, अजय, गुलबचन ¨सह, सुरेंद्र, नरेंद्र कतियाल व आजाद मौजूद रहे।
पहले दिन लाखों का नुकसान
प्रधान नरेंद्र के अनुसार हड़ताल से करोड़ों रुपये का नुकसान होगा। हड़ताल अनिश्चितकालीन है। उन्होंने कहा कि जिले के 1000 से ज्यादा कामर्शियल वाहन विभिन्न रूटों पर दौड़ते हैं। यदि एक वाहन का खर्च अनुमानित 3500 रुपये मान लें तो यह नुकसान 35 लाख रोजाना का होता है।
यहां-यहां होती है सामान की ढुलाई
नरेंद्र और संतोख ¨सह के मुताबिक यहां से देश व प्रदेश के कई हिस्सों में कामर्शियल वाहन सामान लेकर आते-जाते हैं। ज्यादातर निर्माण सामग्री, औद्योगिक मशीनरी, ऑटो पार्ट्स, इंडस्ट्री का सामान, दोपहिया वाहन, कपड़े आदि जाते हैं। वाहन ज्यादातर पंजाब, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल और राजस्थान तक जाते हैं। ट्रांसपोर्टरों की ये हैं मांगें
डीजल की कीमतें कम होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर समान मूल्य निर्धारण होना चाहिए। डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाए।
8 रुपये लिए जाने वाले सेस को खत्म किया जाए। टोल बैरियर मुक्त होना चाहिए।
तृतीय पक्ष बीमा प्रीमियम निर्धारण में पारदर्शिता होनी चाहिए। जीएसटी की छूट होनी चाहिए। सरकार थर्ड पार्टी बीमा के दाम बढ़ाती जा रही है।
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से टीडीएस समाप्त होना चाहिए।
ई-वे बिल से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं को देखते हुए नियमों में संशोधन किया जाना चाहिए।
बसों और पर्यटन वाहनों के नेशनल परमिट दिए जाएं।