एक रुपया व नारियल को गोद में साक्षी मानते हुए दुल्हे ने दहेज लेने से मना किया
संजीव गुप्ता निगदू रिश्ता पक्का होते ही बेटे पक्ष के ओर से दहेज में तरह-तरह के सामान की
संजीव गुप्ता, निगदू
रिश्ता पक्का होते ही बेटे पक्ष के ओर से दहेज में तरह-तरह के सामान की
मांग करने की आवाज आनी शुरू हो जाती है। तो वहीं बेटी वाले भी शादी में
किसी सामान की कमी न रहे इसके लिए दिन-रात लग रहता है लेकिन अब समय बदल रहा है। पढे-लिखे युवा इस दहेज वाली प्रथा का विरोध करते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनकी सोच है कि दहेज लेन-देन के चक्कर में कई बार बनते-बनते रिशता टूट जाता है जिससे दोनों परिवारों को परेशानी झेलनी पड़ती है। समाज में दहेज की प्रथा का विरोध करते हुए रविवार को राजपूत समाज के एक युवा ने क्षेत्र में मिसाल पेश की है। इसमें दूल्हे ने दहेज में केवल एक रूपया व नारियल लेकर दहेज प्रथा के खिलाफ मिसाल पेश की है। दूल्हा नवनीत राणा ने बताया कि वो शुरू से ही दहेज प्रथा के खिलाफ है। ऐसे में उसने पहले से ही यह तय कर लिया था कि जब भी उसकी शादी होगी वो दहेज नहीं लेगा तथा दहेज प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरूक करेगा। शादी समारोह में दूल्हे द्वारा दहेज नहीं लेने पर वहां मौजूद लोगों ने प्रसन्नता व्यक्त की।
बता दें कि करनाल जिले के गांव रायसन के सुभाष चन्द राणा ने अपनी बेटी मनीषा की शादी कैथल जिले के गांव कलायत के तरसेम चन्द राणा के
बेटे नवनीत राणा के साथ तय की थी। रविवार को दूल्हा नवनीत राणा बारात केसाथ गांव रायसन में पहुंचा। जहां पर वरमाला से पहले दुल्हन वालों की ओर से दूल्हे को सामान आदि देने लगे तो गोद में रखा एक रूपया व नारियल को ही साक्षी मानते हुए अन्य कीमती सामान को लेने से मना करते हुए
कहा कि यह भी मेरा घर है। मुझे अलग से कुछ नहीं चाहिए। दूल्हे की दहेज न लेने की बात सुनकर दुल्हन वालों की आंखे नम हो गई तो वहीं क्षेत्र में
दहेज न लेने पर चर्चा का विषय बना हुआ है। दूल्हे नवनीत राणा का कहना है कि वह वर्तमान में वकालत की पढाई कर रहा है और समाज में दहेज को लेकर रिश्ते टूटने की तक की नौबत आ जाती है। आज की पीढ़ी को वर्षों पुरानी प्रथा को खत्म करनी है। यह तभी संभव होगा जब यूथ आगे आएगा। ----बाक्स----
दूल्हे ने किया समाज में जागरूकता का काम
दुल्हन के पिता सुभाष चन्द राणा, परिवार के सदस्य राम सिंह, हिसम सिंह राणा, केहर सिंह, पूर्व सरपंच रणधीर सिंह, बनी सिंह राणा, महेन्द्र राणा,
विरेन्द्र राणा का कहना है कि जिस प्रकार नवनीत राणा ने दहेज न लेकर समाज में एक मिशाल पैदा की है। उससे समाज में बेटियों के जन्म होते ही पिता कोशादी के खर्चे को लेकर तंग होने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दहेज एक कुप्रथा है। इससे कई घर टूट जाते हैं। इसीलिए हम सबको यही प्रेरणा लेनी चाहिए कि शादी में न तो दहेज लेना चाहिए ओर न ही देना चाहिए।