शुगर मिल की राख में झुलसा 10 साल का बच्चा, डेढ़ साल में हो चुके 15 हादसे
फफड़ाना गांव की राख क्षेत्र के लोगों के लिए जानलेवा बनी है। वीरवार देर शाम 10 वर्षीय बच्चा भी सड़क किनारे पड़ी मिल की राख में धंस कर बुरी तरह से झुलस गया। बच्चे की दोनों टांगें एक बाजू हाथ कमर पेट जल गया है।
संवाद सहयोगी, असंध(करनाल) : फफड़ाना गांव की राख क्षेत्र के लोगों के लिए जानलेवा बनी है। वीरवार देर शाम 10 वर्षीय बच्चा भी सड़क किनारे पड़ी मिल की राख में धंस कर बुरी तरह से झुलस गया। बच्चे की दोनों टांगें, एक बाजू, हाथ, कमर, पेट जल गया है। गंभीर हालात में उसे असंध के सामान्य अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां से रोहतक पीजीआइ रेफर कर दिया गया। सूचना मिलने के बाद शुगर मिल के एमडी व एसडीएम अनुराग ढालिया ने तहसीलदार नवदीप कौर बरार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित की। शुक्रवार को इस टीम ने घटना स्थल का दौरा कर ग्रामीणों से मामले पर बातचीत की। दूसरी तरफ, बच्चे के परिजनों की तरफ से शुगर मिल के अधिकारियों को खिलाफ अभी तक शिकायत नहीं दी गई है।
फफड़ाना गांव निवासी अजय ने बताया कि उसका 10 वर्षीय भतीजा नितिन वीरवार देर सायं भैंसों को रजवाहे में पानी पिलाने लेकर गया था। भैंस रजवाहे से दूसरी तरफ बाहर जाने लगी तो वह भी उधर चला गया। शुगर मिल के अधिकारियों की ओर से राखी डाली गई थी जिसमें बच्चे की दोनों टांगे धंस गई। इसके बाद जब उसने बाहर निकलने का प्रयास किया तो वह पूरी तरह से राखी में धंसता चला गया। आस पड़ोस के ग्रामीणों ने किसी तरह से बच्चे को बाहर निकाला लेकिन तब तक बच्चा झुलस चुका था।
एसडीएम बोले- मिल की नहीं बिटोड़े राख से जला बच्चा, ग्रामीणों ने कहा अपना बचाव करने पर उतरे अधिकारी इस पूरे घटनाक्रम के बाद एसडीएम अनुराग ढालिया ने कहा बच्चा मिल की राख से नहीं बल्कि पास में ही बिटोड़े की राख की चपेट में आने से झुलसा है। शुगर मिल का नाम गलत लिया जा रहा है। एसडीएम के इस बेतुके बयान को लेकर ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों ने अधिकारी के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि गेहूं के सीजन में आगजनी की चपेट में आने से यह बिटोड़े जले थे, इस घटनाक्रम को दो माह का समय हो गया है। अब इसमें आग कहां से आ गई। एसडीएम गलत ब्यान देकर मामले से बचना चाहते हैं। यह भी हो चुके हैं मिल की राखी का शिकार
- फफड़ाना गांव के ही रामपाल के पैर मिल की राख की चपेट में आने से बुरी तरह से झुलस गए थे। नौबत ऐसी आ गई थी कि उन्हें अपने पैर की अंगुली तक कटवानी पड़ गई थी। मिल प्रबंधन की तरफ से कोई आर्थिक सहायता तक नहीं की गई।
- गांव का ही अजमेर गांव वापस आते हुए सड़क किनारे डाली गई राखी की चपेट में आया, जिससे वह झुलस गया था। लंबे इलाज के बाद वह ठीक हो पाया।
- जून माह में फफड़ाना गांव का देवेंद्र गांव से असंध रोड की तरफ जा रहा था, सड़क किनारे राखी में धंस गया और बुरी तरह झुलस गया।
- गांव में कई मवेशी इस राख की चपेट में आने से दम तोड़ चुके हैं। मिल प्रबंधन की तरफ से क्या कदम उठाए गए?
अभी तक ठोस कदम नहीं। डीसी के निर्देश पर मिल ने सड़क किनारे राख को डालना तो बंद कर दिया, लेकिन पहले से डाली गई राख का कोई उपाय नहीं किया, जो लोगों के लिए नासूर बन चुकी की है। खानापूर्ति के लिए केवल कहीं-कहीं पर मिट्टी जरूर डाली है, लेकिन उससे हादसे नहीं रूक रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा, एसडीएम के खिलाफ हो मामला दर्ज
फफड़ाना गांव निवासी विक्की, राजीव, संजय, महेश, वेदपाल, राजेंद्र आदि ने कहा कि मिल के एमडी व एसडीएम के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए। लोग लगातार काल रूपी राख में झुलस रहे हैं, लेकिन मिल प्रबंधन की तरफ से कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया। सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। क्या कहती है पंचायत?
फफड़ाना गांव के सरपंच दिलावर सिंह ने कहा कि यह गंभीर मामला है, गांव के लिए यह राख नासूर बन चुकी है। दो साल पहले तत्कालीन डीसी डॉ. आदित्य दहिया को यहां से राख के उठान के लिए शिकायत दी थी। हादसों के बारे में अवगत कराया था। उसके बाद यहां राख डालना तो बंद कर दिया, लेकिन जो पहले राख डाली थी उसका हल नहीं निकाला। जिस कारण गांव के लोग रोजाना हादसे का शिकार हो रहे हैं।