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छोटे किसानों को उन्नत कृषि प्रणाली अपनाने की जरूरत : डा. गुरबचन

0 केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में चल रहे 21 दिवसीय शीतकालीन पाठ्यक्रम का समापन जागर

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 07:34 PM (IST)
छोटे किसानों को उन्नत कृषि प्रणाली अपनाने की जरूरत : डा. गुरबचन

0 केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में चल रहे 21 दिवसीय शीतकालीन पाठ्यक्रम का समापन जागरण संवाददाता, करनाल

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केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान में किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में लवणता व क्षारीय प्रबंधन की उन्नत तकनिकियां विषय पर चल रहा 21 दिवसीय शीतकालीन पाठ्यक्रम सोमवार को संपन्न हुआ। संस्थान के निदेशक डा. प्रबोध चंद्र शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष और गुरबचन ¨सह फाउडेशन (शिक्षा और अनुसंधान) के अध्यक्ष डा. गुरबचन ¨सह का स्वागत किया। उन्होंने प्रशिक्षण ले रहे वैज्ञानिकों को अपने सेवा काल में किए लवणता अनुसंधान कार्यों की विस्तार से जानकारी दी।

डॉ. गुरबचन ¨सह ने संस्थान में विकसित की गई प्रौद्योगिकियों जैसे जिप्सम, भूमिगत जलनिकास, जीरो टिलेज व संसाधन संरक्षण आदि प्रौद्योगिकियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि बदलते हुए परिवेश में लघु किसानों को बहुउद्देश्य कृषि प्रणाली अपनाने की आवश्यकता है। लघु किसानों के लिए यह अच्छा आमदनी का साधन है। लघु किसानों को यह प्रणाली अपनानी चाहिए जिसमें धान, गेहूं के साथ-साथ पशु-पालन, मधु-मक्खी पालन, मछली पालन व फल उत्पादन का सुनियोजित उपयोग हो। इससे कृषि के खर्चों में कमी आती है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान भी कम होंगे और मृदा खनिज तत्वों से समृद्ध हो जाती है। इस अवसर पर उन्होंने प्रशिक्षणर्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और प्रशिक्षण व्याख्यान संग्रह और मृदा, जल और पौधों के परीक्षण पुस्तिका का विमोचन भी किया।

पाठ्यक्रम समन्वयक डा. एमजे कलेढोणकर ने कहा कि संस्थान ने कई प्रौद्योगिकियां विकसित की है। इनके प्रचार-प्रसार के लिए देश के 24 वैज्ञानिक व सहायक प्रोफेसर इस पाठ्यशाला में प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें व्यवहारात्मक ज्ञान, व्याख्यान व प्रयोग-प्रक्षेत्रों का भ्रमण भी करवाया गया।


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